राज शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जो देश एवं समाज के दुश्मन है, उन्हें देश द्रोही के सम्बोधन शब्द ठीक रहेगा। समाज को जो लोग गन्दा करते हैं, हर पल कीचड़ उछालते रहते हैं, वह भी अपराधी हैं और जो देश मे अराजकता फैलाते हैं, वह भी देश के दुश्मन व देश द्रोही है। इस समय जब समस्त विश्व कोरोना से त्रस्त है, उस समय भी देश के अंदर भांति-भांति के अपराध हो रहे हैं, जो रोगों का निदान करते हैं, उन्ही ओर पथराव व लाठियां बरसाई जा रही है। ये लोग अपने दुश्मन खुद तो है ही, बल्कि देश में जो इस समय अशांति एवं वायरस फैला हुआ है, उसको और भी प्रचण्ड रुप देकर देश को नष्ट करने में तुले हुए हैं।
देश में कई बहरूपिये छिपे है
भारत देश जब अंग्रेजों के अधीन रहा उस समय भी हमारे देश के अंदर से अंग्रेजों को भारी समर्थन मिला था। जिन लोगों की आपसी रंजिशें थी उसे उन लोगों ने अंग्रेजों के साथ मिलकर पूरी की थी और आज भी इसी स्थिति को अंजाम देने के लिए देश में कुछ समाजिक तत्व जानबूझ कर अराजकता फैला रहे हैं। धन देकर ईमान की बेचना और अपने ही देश के खिलाफ खड़े हो जाना देश द्रोह नही तो क्या कहलाएगा।
हर बार नई नई रंजिशें रचकर देश को क्षति पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। अभी एक मौलाना सामने आया है इस तरह के न जाने कितने मौलाना आंतरिक घात साधे हुए देश के अंदर खुफिया तरीके से छिपकर बड़ी बडी साजिशों की गुच्छियों को बुनने में लगे हुए हैं। जो लोग अन्तर्भावना से देश के अंदर अराजकता फैला रहे हैं, वह भी इन्ही की श्रेणी में गिना जाएगा।
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