उमा ठाकुर, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
माँ भारती पुकारती
वीर तुम डटे रहो
हाथ जोड़े खड़ा वो महापुरुष
संकल्प जीत का ठान रूके रहो ।
न लांघों लक्ष्मण रेखा
कुछ दिन बस यूं ही
बहला लो मन घर आँगन में
ठहरे इस पल को तुम गवांओ न ।
माता पिता की चरण धूली से
कर लो वंदन बारम्बार
सात समंदर की दूरियां समेट
लौटा दो उन्हें,
उनके हिस्से की धूप ।
शून्य से उभर तुम
नवांकुर बन जाओगे
क्या खोया कहां चूके इस दौड़ में
आत्मसात सब कर पाओगे ।
करोड़ों का दान न सही
वैशविक आपदा के
महाकुंभ में
तुम्हारा 21दिन, 504 घंटे, 30240 मिनट,
1814400 पलों का महादान क्या कम है ।
क्या हुआ जो सुर्खियां अखबारों की
न्यूज़ चैनल की हैडलाइन
तुम नहीं फिर भी,
गुमनाम नहीं कोरोना योद्धा तुम कहलाओगे 1
आयुष साहित्य सदन, पंथाघाटी शिमला