मौलाना की अपील: रमजान के दौरान करें लॉकडाउन का पालन,घरों में रहकर करें इबादत


शि.वा.ब्यूरो, लखनऊ। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया ने मुसलमानों से रमजान के दौरान भी लॉकडाउन का पालन करने और दुनिया को कोरोना वायरस से बचाने की खास दुआ करने की अपील करते हुए इस सिलसिले में एक परामर्श जारी की है। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन और लखनऊ के शहर काजी मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने रविवार को जारी परामर्श में कहा-‘इबादतों से भरपूर रमजान का महीना ऐसे वक्त पड़ रहा है, जब देश और पूरी दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रही है। मौलाना रशीद फरंगी ने कहा-सरकार ने लॉकडाउन की समय सीमा 14 अप्रैल तय की थी, लेकिन ऐसा अनुमान है कि इस महामारी पर काबू पाने के लिए इसकी मियाद और बढ़ाई जाएगी। उम्मीद है कि आगामी 24 अप्रैल को रमजान उल मुबारक का चांद दिखाई पड़ेगा और 25 अप्रैल को पहला रोजा होगा। सभी मुसलमानों से गुजारिश है कि वे रमजान में भी लॉकडाउन का पालन करें और सामाजिक और शारीरिक दूरी बनाए रखें।



मौलाना फिरंगी महली ने कहा कि सभी मुसलमान सारे रोजे रखें और रमजान में खासकर इफ्तार के वक्त कोरोना के खात्मे के लिए खास दुआ जरूर करें। उन्होंने परामर्श में कहा-जो लोग हर साल मस्जिद में गरीबों के लिए इफ्तारी का आयोजन करते थे, वे इसे इस साल भी करें लेकिन उस खाने को जरूरतमंदों में बांट दें। मौलाना फिरंगी महली ने कहा-इसके अलावा जो लोग हर साल रमजान में इफ्तार पार्टियां करते थे, वे भी इस पर खर्च होने वाली रकम या फिर उसके राशन को गरीबों में बांट दें। तमाम रोजेदार इस बात को सुनिश्चित करें कि रमजान के मुबारक महीने में कोई भी इंसान भूखा ना रहे। जिन लोगों पर जकात फर्ज है वे गरीबों में जकात जरूर बांटें।



मौलाना रफीक अहमद ने एक जलसे की सदारत करते हुए अफवाह फैलाने वालों को लताड़ लगाते हुए कहा है कि जो लोग अपने घर में एक वक्त की नमाज नहीं पढ़ते हैं वो लोग दूसरे देशों के फर्जी उदाहरण पेश करते हुए अफवाह फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि लाॅकडाउन में नमाज पढ़ने पर पाबन्दी नहीं लगायी गयी है, केवल मस्जिद जाने पर पाबंदी लगायी है। उन्हांेने हदीश का जिक्र करते हुए बताया कि हदीश में लिखा है कि अगर कहीं ताऊन की बीमारी फैल जाये तो वहां न जाओ और अगर आपके इलाके में ताऊन की बीमारी फैल जाये तो वहां से न जाओ। उन्होंने कहा कि 1400 साल पहले हदीश में लिख दिया गया था कि आंधी-बारिस में भी अल्लाह ने मस्जिद में न जाकर जहां हो और जिस हालत में हो, वहीं नमाज अता करने की इजाजत दी है।



कोरोना वायरस से मरने वाले मुस्लिमों को दफनाने के सम्बन्ध में लखनऊ के सैयद अयाज द्वारा पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए मुस्लिम विद्धान ने फतवा जारी किया है। उसमें कहा गया है कि यदि किसी मुसलमान की कोरोना से मौत हो जाती है तो उसके शव को जिस तरह से डाक्टर पैक करके देंगे उसी को कफन मानकर कब्रिस्तान में दफनाया जायेगा और नमाज ऐ जनाजा भी होगा। उन्होंने बताया है कि WHO की स्पष्ट रिपोर्ट है कि मुर्दों को दफनाने के बाद किसी को भी कोई बीमारी नहीं लगती।



खतौली के मुस्लिम धर्म गुरुओं ने अपनी अपील में कहा है कि ईमान अपनी मर्जी का नाम नहीं है, ईमान अल्लाह की मर्जी पर चलने का नाम है। उन्होंने कहा कि कस्बे और क्षेत्र के कई मददगार  लगातार गरीब, निर्धन और असहाय लोगों की मदद कर रहे है। उन्होंने कहा कि हम लोगों को पुलिस प्रशासन का सहयोग करने के साथ हीं कानून का पालन भी करना है।



छपार थाना क्षेत्र की बरला चौकी पर सीओ सदर कुलदीप सिंह ने क्षेत्र में पढ़ने वाले गांवो के सभी मस्जिदों के इमाम व जिम्मेदार लोगों को बुलाकर रमजान माह के अवसर पर एक आवश्यक मीटिंग का आयोजन किया। सी ओ सदर कुलदीप सिंह ने सभी उपस्थित मुस्लिम वर्ग के गणमान्य लोगों से लॉक-डाऊन का पालन करने और अपने घरों में नमाज अदा करने अपील की वह अपने अपने गांव के लोगो को समझाने की बात कही की वह लोग भी अपने घरों में रहें तथा नमाज़ घर पर ही पढ़े।



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