अमजद रजा, ककरौली। कोरोना वायरस के खतरे के बीच सीमित संसाधनों में अपनी जान जोखिम में डाल कर पूरी जिम्मेदारी के साथ पुलिस की डंडे भी खाकर रिपोर्टिंग कर समाचारों के माध्यम से लोगो को जागरूक करने वाले पत्रकारों के लिए सरकार ने अभी तक उन्हें कोई भी राहत पहुचाने वाला ऐलान नही किया है।
लॉक डाउन के कारण सभी दुकाने बन्द है ऐसे में पूरे शहर में सैकड़ो पत्रकार दिन भर भूखे प्यासे रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे है। सरकार अगर चाहे तो सभी थाना स्तर पर सभी पत्रकारों को चिन्हित कर सूची बना कर सूची के अनुसार स्थानीय पुलिस के सहयोग से उन मेहनतकश पत्रकारों तक राहत आसानी से पहुचा सकती है। पत्रकारों को भी डॉक्टरों, प्रशासनिक पदाधिकारीयों व पुलिसकर्मियों की तरह बीमा की सुविधा तथा सुरक्षा किट प्रदान की जानी चाहिए।
लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष देवानंद सिंह ने इस मुद्दे पर पहल करते हुए बताया है कि लॉक डाउन के बाद दिल्ली में होगा प्रकाशकों का महाजुटान होगा।
हरियाणा जर्नलिस्ट ऑफ यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष संजय राठी ने कहा है कि कोरोना वायरस लॉक डाउन के दौरान पत्रकार पूरी तरह से चैथे स्तंभ की भूमिका निभा रही है इस स्थिति में सरकार को डॉक्टरों पुलिस पदाधिकारियों और सफाई कर्मियों की तरह बीमा कराना चाहिए
ऑल इंडिया नेशनल जर्नलिस्ट वेलफेयर बोर्ड उड़ीसा सनत मिश्रा ने कहा है कि सरकार अगर इस पर विचार नहीं करती है तो गांव की बात शहरों तक और शहर की बात गांव तक जाना बंद हो जाएगा।
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’ लीड इंडिया पब्लिशर्स एसोसिएशन बिहार प्रदेश के अध्यक्ष मंगला नंद झा नेेे कहा है कि सरकार को पत्रकारांे की समस्या को समझना होगा,, तभी सही मायनोें मेें लोकतंत्र जिंदा रह पायेेगा।
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