मनोज भाटिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
कॅरोना संकट के दौरान सरकार द्वारा लिए गए सभी फैसलों के जनता स्वागत कर रही है, परंतु भावी पीढ़ी की खास जरूरत को नज़रअंदाज़ कर किताबो की दुकानों को तो कोई छूट दी नही गयी। वरन मुर्गा मच्छी और शराब की दुकानों को आज सशर्त परमिशन दे दी गयी जो आम जनता के गले नही उत्तर रही है। मुर्गा और मछली न खाने से लोगो के स्वास्थ में क्या गिरावट आ गयी थी या को से राजस्व में एकदम वृद्धि हो गयी थी।
दूसरी और शराब की बिक्री खोलना भी आश्चर्यप्रद है, क्योंकि इसका सकारत्मक प्रभाव केवल राजस्व है और नकारात्मक देखे तो शराबी की रोटी मिले या न मिले पर शराब जरूर चाहिए चाहे इसके लिए चोरी क्यों न करनी पड़े। विशेषज्ञों के अनुसार यह सदैव से मजबूत रही शराब लाबी का दबाव भी हो सकता है। सरकार को इस हास्यप्रद निर्णय पर पुनः विचार करना चाहिए, क्योंकि छात्र हित में अध्ययन सामग्री जैसे व्यापारों का खुलना अतिआवश्यक है।
वरिष्ठ पत्रकार खतौली, (मुजफ्फरनगर) उत्तर प्रदेश
Tags
education