भगवान के घर माँ के नाम एक बेटी का पत्र


डा.मिली भाटिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

माँ! दुनिया की सबसे अच्छी माँ! माँ! काश आज तुम साथ होतीं...........

17 साल पहले अपनी 17 साल की इकलोती बेटी को छोड़कर तुम ईश्वर के पास चलीं गईं। काश ईश्वर के घर फ़ोन होता तो मैं तुमसे एक आख़िरी बार बात कर पाती। काश..... तुम्हें ये बता पाती की तुम्हारे बिना में कितनी अकेली हूँ। तुम्हारा डाँटना,  तुम्हारा अथाह प्यार याद आता है हमेशा, पर तुम चिंता मत करना माँ। पापा ने 17 वर्ष से तुम्हारी कमी महसूस न हो, इसके लिए बहुत तपस्या की है। काश.... तुम आज होतीं तो आँखो से आँसू कभी नहीं निकलते, कभी दर्द से डर नहीं लगता। आज तुम्हारी 6 साल की नातिन लिली पूछती है कि भगवानजी को में बोलूँगी तो नानी वापिस आ जायेंगी क्या? तुम्हारे हाथ का खाना, तुम्हारे हाथ के आचार पापड़, सब कुछ, स्वाद अभी भी मेहसूस करती हूँ मैं।  माँ! तुम्हारी मेरे लिए हर पल चिंता, मुझे बहुत याद आता है।  माँ! तुम्हारी जगह तो भगवान भी नहीं ले सकते। माँ! आप जहां भी हो, वहाँ से मुझे देखतीं होंगी ना। मैं आपको अपने साथ हमेशा महसूस करती हूँ। अपना आशीर्वाद मुझपर बनाए रखना और मेरी चिंता मत करना, में ठीक हूँ माँ.....

आपकी बेटी डा. मिली 


 रावतभाटा, राजस्थान 

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