राज शर्मा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
माहूंनाग की वादियों में बसा भमनाला करसोग का एक सुंदर गांव है। यह गांव मंडी जनपद के दक्षिण पूर्व में करसोग तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत सवामांहू में अवस्थित है। जिला मुख्यालय से लगभग 125 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भमनाला माहूंगढ/ गढ़ामांहूं धार के उत्तरी नाले की ओर की ओट में बसा है। माहूंनाग क्षेत्र के साहित्यकार शिक्षाविद राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला चुराग के प्रधानाचार्य डॉक्टरगिरधारी सिंह ठाकुर का कहना है कि भमनाला शब्द की व्युत्पत्ति "ब्रह्म" और "नाला" से मानी जाती है। "ब्रह्म" शब्द यहां ब्राह्मणों के लिए प्रयुक्त हुआ है। नाले के किनारे बसा यह गांव माहूंनाग क्षेत्र में ब्राह्मणों की सबसे बड़ी एवं प्राचीन बस्ती मानी जाती है। संभवत: इसी से अपभ्रंशित होकर यह गांव भमनाला कहलाया।
भमनाला शुद्ध ब्राह्मणों का गांव है, जिन्हें ब्रह्म स्वरूप माना जाता है। हिमाचल प्रसिद्ध देवता मूल माहूंनाग बखारी जी का गूर इन्हीं ब्राह्मणों के कुल से देवता द्वारा नियुक्त किया जाता है। वर्तमान में भमनाला गांव के काहन चंद शर्मा देव माहूंनाग जी के मुख्य गुरू हैं। गुरूदेव काहनचंद की स्मरण शक्ति बहुत विलक्षण है। काहनचंद अपने तपबल व कृपा के कारण सुकेत क्षेत्र ही नहीं अपितु मंडी-शिमला जिला सहित हिमाचल व सीमावर्ती राज्यों सहित दूर-दूर तक जाने जाते हैं। पंडिताई और ज्योतिष भमनाला के ब्राह्मणों का मुख्य व्यवसाय है। प्राचीन भग्नावशेष इस गांव की ऐतिहासिकता को मुखर करते हैं। भमनाला एक छोटा सा समृद्ध गांव है। माडल पब्लिक स्कूल माहूंनाग के प्रधानाचार्य कुई निवासी ईश्वरचंद कि का कहना है कि सवामाहूं पंचायत का गठन होने से पहले भमनाला चुराग पंचायत की सीमा से लेकर सतलुज तटीय परलोग तक के गांवों का केंद्र रहा है। की देवदार के विशालकाय पेड़ और सेब के बागीचे भमनाला को प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करते हैं। गांव में माहूंनाग जी का एक छोटा सा मंदिर भी बना है, जहां भमनाला वासी माहूंनाग जी की पूजा करते हैं। तीज त्योहारों व संस्कार उत्सवों पर भमनाला में शुद्ध ग्रामीण संस्कृति के दर्शन होते हैं।
अनुपम मनोहर वादियों से घिरा भमनाला खील-कुफरी-माहूंनाग मार्ग पर स्थित बागड़ा से लगभग एक किलोमीटर दूर बसा है। वाहन योग्य सड़क न निकल पाने के कारण विकास की दृष्टि से यह ऐतिहासिक गांव आज भी पिछड़ा है। भमनाला वासी बहुत परिश्रमी हैं। सेब की यहां बहुत अच्छी पैदावार होती है। गांव वासी आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रयोग अपने खेतों में करते हैं। गांव में प्राचीन और आधुनिक शैली के घर बने हैं। व्यापार मंडल पांगणा के समाजसेवी युवा प्रधान सुमीत गुप्ता और माहूंनाग के हरिसिंह का कहना है कि पर्यटन की दृष्टि से इस ऐतिहासिक गांव को विकसित कर सैलानियों को आकर्षित किया जा सकता है।