डॉ.शम्भू पंवार, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मुझे संसार में लाने वाले,
मुझे अपना नाम और पहचान
देने वाले मेरे पापा, मेरे भगवान
आज आप मेरे साथ नहीं हो
लेकिन आप मेरी रूह में, मेरी
सांसों में हो..
पापा आप के बिना जीवन
व्यर्थ लगता है, कहने को तो
21 बरस बीत गए, पर हर पल
आपको याद करता हूं..
आपके साथ बिताया बचपन और
युवावस्था तक का समय..
जब जब याद करता हूं ,
आंखें बरसने लगती हैं..
आपकी कमी बहुत महसूस
होती है पापा, आपने ऊंगली
पकड़ कर चलना सिखाया
अच्छे बुरे का फर्क बताया
मेरी खुशी, मेरी हर जिद पूरी की
खुद कष्ट सहकर आपने,
हम बच्चों की खुशी में ही अपनी
खुशी महसूस की, कैसे भूल
जाऊं, उस समय को पापा
मेरे जरा से रोने से आप बेचेंन
हो जाते थे.. मेरी खुशी के लिए
सब कुछ कर जाते थे...
आपने बखूबी अच्छे पिता
होने का कर्तव्य निभाया,
बाल संस्कार, शिक्षा संस्कार,
विवाह संस्कार सभी बड़े
अच्छे से ओर खुशी से पूर्ण किये
मैंने कभी आपके माथे पर
शिकन नहीं देखी..जब मैं
दायित्व निभाने लायक हुआ
आप चले गए,
पापा! काश आप आज भी मेरे
साथ होते, पर आज जब
आप मेरे साथ नही है
पर आपसे मिले संस्कार संबल
बन कर मेरे साथ कदम कदम
पर हैं, मैं आज जो कुछ भी हूं
आपके आशीर्वाद स्वरूप ही हूं..
अपना आशीष मुझ पर सदैव
बनाए रखना,आपकी कमी बहुत
खलती है, पर मैं जानता हूं
प्रत्यक्ष न सही अप्रत्यक्ष रुप में
आप हमेशा मेरे साथ हैं
मैं आपका सुपुत्र आपकी स्मृतियों
को नमन करता हूं...
चिड़ावा, दिल्ली
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