शिक्षकों का दो टूक-तबादला हो जाए और वरिष्ठता न जाए, नहीं तो स्कूलों में होगी तालाबंदी (शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र के वर्ष 12, अंक संख्या-31, 28 फरवरी 2016 में प्रकाशित लेख का पुनः प्रकाशन)


शि.वा.ब्यूरो, इलाहाबाद। प्राथमिक स्कूल शिक्षकों का कई वर्ष से तबादला न होने का मामला तूल पकड़ गया है। प्रदेश भर के शिक्षकों ने अल्टीमेटम दिया है कि यदि फरवरी में ही अंतर जनपदीय तबादले शुरू न हुए तो स्कूलों में तालाबंदी करेंगे। साथ ही उनकी मांग है कि दूसरे जिले में परिषद उनका तबादला करे, लेकिन वरिष्ठता भी किसी सूरत में नहीं जानी चाहिए।
बेसिक शिक्षा परिषद ने पिछले तीन साल से शिक्षकों की तबादला नीति जारी नहीं की है। इससे शिक्षक परेशान हैं। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन उप्र के बैनर तले प्रदेश भर के शिक्षकों ने शिक्षा निदेशालय में धरना दिया। प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी ने कहा कि वर्षो से शिक्षक सुदूर गांवों में तैनात हैं वह अपने गृह जिले में लौट नहीं पा रहे हैं। सुभाष कनौजिया ने कहा कि जब चार सितंबर 2012 को लखनऊ में आंदोलन हुआ था तब स्थानांतरण के लिए स्थायी नीति बनाने का वादा हुआ, लेकिन उस पर आज तक अमल नहीं हो सका। शासन और विभाग बार-बार शिक्षकों को गुमराह कर रहा है।
संयोजक उमेश शुक्ल ने कहा कि वरिष्ठता उनके बैच के शिक्षकों के आधार पर तय की जाए। साथ ही प्रथम नियुक्ति को ही पदोन्नति का आधार माना जाए। शिक्षकों ने एक स्वर से यह भी कहा कि फरवरी में तबादले की आॅनलाइन प्रक्रिया शुरू न हुई तो स्कूलों में तालाबंदी करेंगे। शिक्षकों का ज्ञापन परिषद के संयुक्त सचिव ने शासन को भेज दिया है। यहां राजेश शुक्ल, यशोवर्धन त्रिपाठी, मंगेश यादव, अभय मिश्र, अनंत सिंह आदि थे।


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