आशुतोष, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
तीन दिग्गज पुत्र, जिन्हें विरासत स्वरूप राजनीति मिली है। नये बिहार के कर्णधार बनने की दम रखते हैं। इन तीनो के लिए 2020 का यह चुनाव वेहद अहम होगा, जो बिहार की दशा-दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है। इन तीनो के पास अब राजनीतिक अनुभव के साथ परिपक्वता और विजन है, साथ ही साथ इनके पास अपनी अपनी जाति की नेतृत्व करने की क्षमता। बिहार की राजनीति आने वाले समय में इन तीनो दिग्गज के इर्द गिर्द घूमेगी ऐसा समझा जा सकता है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, लोकजनशक्ति पार्टी के वर्तमान सांसद चिराग पासवान और बिहार के पूर्व मंत्री नीतीश मिश्र तीन ऐसे महारथी इस 2020 चुनाव के केन्द्र विन्दु में रहेंगे, इससे इनकार नही किया जा सकता। जिनके कंधे पर अपनी जाति के साथ युवा पीढ़ी के लिए बहुत कुछ देने करने की मादा है और जनता के लिए नई उम्मीद भी।
तेजस्वी ने जहाँ एक ओर रोजगार यात्रा निकाल कर वेरोजगारों को लुभाने का भरसक प्रयास किया है, वही आज भी वह सभी पार्टीयों को सीधे टक्कर देती नजर आ रही है। कोई भी उमीदवार हो उसकी टक्कर में राजद ही होगा, क्योंकि एक परंपरागत वोट राजद की आज भी उसके साथ खडी नजर आ रही है।
चिराग पासवान ने बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट की यात्रा कर अपनी इच्छा जाहिर की है कि बिहारी के लिए वे कुछ करना चाहते है, जिसका मौका लोगों को देना चाहिए। आने वाला समय बिहार का हो बिहारी का हो, जिसके लिए वे विजन की तैयारी भरसक करते रहेंगे। ऐसे संदेशो से जनता में सकारात्मक प्रभाव छोड़ा गया है, जिस पर मंथन तो होगा ही ऐसा प्रतीत होता है।
मिथिलांचल का एक युवा नेतृत्व भाजपा उपाध्यक्ष नीतिश मिश्र की खामोश निगाहें इन सभी बातों का अध्ययन कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए जनता के बीच एक नेक, योग्य परिपक्व छवि बनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं, जो एक मात्र चेहरा हैं, जिस पर अगडी जाति का नेतृत्व भाजपा अपने लिए ट्रंप कार्ड के तौर पर इस्तेमाल करना चाहेगी ऐसा माना जा सकता है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बिहार के केन्द्र में युवा नेतृत्व की तिकड़ी है, जो आने वाले समय में नेतृत्व करती नजर आने वाली है। जिसका विजन और नेतृत्व परिपक्व होगा वो बाजी मार सकता है, लेकिन तिकडी तो वजूद में आ चुकी है, जिसको बूढी हो चूकि राजनीतिक निगाहें भलीभाँति समझ रहे हैं ।
पटना बिहार
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