अशोक काकरान, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
युवा पीसीएस अधिकारी ने आत्महत्या कर ली। टिकटोक स्टार ने खुदकुशी कर ली। एक पत्रकार ने दिल्ली में एम्स की मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। यह क्या हो रहा है? पिछले दिनों मेरठ के मशहूर हॉस्पिटल आनन्द के मालिक हरिओम आनन्द ने कर्ज के चलते आत्महत्या कर ली। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नामी गिरामी अस्पताल आनन्द, उसके मालिक द्वारा की गई खुदकुशी बहुत सवाल खड़े करती है। कर्ज ही आत्महत्या का कारण बन रहा है तो समझना चाहिये कि यह दानव बहुत लोगो को अभी और अपनी गिरफ्त में लेने वाला है। आर्थिक मंदी से बेहद कर्जदार हो चुके उधमी लोगो को पैकेज भी सरकार उपलब्ध कराती रहती है, लेकिन फिर भी उनको कोई खास राहत नही मिलती।
अभी पिछले दिनों गाजियाबाद में एक पत्रकार ने आत्महत्या कर ली थी। कारण यही कि लॉक डाउन के चलते उसकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी और जिस संस्थान में वह काम कर रहा था, वहां अब वह कर्मचारी नही था। बहुत दुख हुआ। ऐसे ही एक व्यक्ति ने साहिबाबाद में पत्नी और बच्चों के साथ खुदकुशी कर ली थी। इसी तरह प्रतिभाशाली कलाकार सुशांत सिंह राजपूत ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मशहूर अभिनेता के पास बैंक अमाउंट भी पर्याप्त मिला।गौर किया जाए तो आत्महत्या करने वाले लोगों में गरीब और अमीर का कोई भेदभाव नही होता। ऐसा लगता है जब आदमी हालतों ओर परिस्थितियों से हार जाता है, तो वह खुदकुशी कर बैठता है। देश के कई हिस्सों से भी ऐसी ही खबरें आती रहती हैं। कर्ज में डूबकर किसान ने की आत्महत्या। कर्ज के बोझ से परेशान होकर वयापारी ने की खुदकुशी।
ऐसा नही कि आत्महत्या कोई एक विशेष तौर से ही लोग करते है, ऐसा कदम सभी तरह के लोगो को उठाते देखा जाता है। पुलिस अधिकारी ने खुदकुशी की, डॉक्टर ने खुदकुशी की, सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने खुदकुशी की, उधोगपति ने खुदकुशी की, फ़िल्म अभिनेता ने खुदकुशी की, प्रोफेसर ने खुदकुशी की। आखिर क्या कारण है कि जिंदगी के दबाव को सह नही पाने के कारण लोग ऐसा कदम उठाते है। सवाल यह है कि क्या जिंदगी का दबाब या बोझ इन्ही चंद लोगों को खुदकुशी की राह पर ले जाता है? दुनिया मे लगभग हर व्यक्ति को दबाब, तनाव और नुकसान उठाना पड़ता है। अधिकांश आत्महत्याओं की घटनाओं के पीछे आर्थिक कारण होता है। दुनिया की चकाचौंध में खोकर इंसान खुद को भी उतना ही सम्रद्ध दर्शाना चाहता है, जिसके परिणामस्वरूप आमदनी से ज्यादा खर्चो की आदत उसे एक दिन मौत के करीब ले आती है। अभी पिछले दिनों एक और घटना ने लोगो को झकझोर दिया था, सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने परिवार के साथ खुदकुशी की है। 18 लाख रुपए सालाना के पैकेज पर नोकरी करने वाले इस इंजीनियर को क्यो परिवार के साथ मरना पड़ा, यह बड़ा सवाल है। आत्महत्या एक अपराध है और उसको करने वाले अपराधी लोगो पर दया नही करता समाज। हालातो से विचलित होकर मरना अक्लमंदी नही है।
वरिष्ठ पत्रकार, राजपुर कलां (जानसठ) मुजफ्फरनगर
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