राहुल के खिलाफ हो देशद्रोह, एनएसए के तहत कार्यवाही, लेकिन हमाम सब........


हवलेश कुमार पटेल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।


तिब्बत मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व सांसद राहुल गांधी के झूठ का पर्दाफाश होने के बाद अब ये सवाल भी उठना लाजिमी है कि क्या राहुल के खिलाफ देशद्रोह, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून व देश के खिलाफ षड़यंत्र करने की धाराओं में मुकदमे दर्ज करके उनके खिलाफ कार्यवाही होगी या नहीं।
कांग्रेस के युवराज कहे जाने वाले राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उनकी सरकार को घेरने की कोशिश में अपनी ही पार्टी के पदाधिकारियों को लेह का निवासी बताते हुए उनकी वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करके गम्भीर आरोप लगाने के मामले का पटाक्षेप हो गया है। मीडिया की जांच में पता चला है कि राहुल गांधी ने चीन द्वारा तिब्बत की जमीन पर कब्जा करने का बयान जारी करने वाले लोग कांग्रेस के पदाधिकारी ही थे, इतना ही नहीं कई कांग्रेस पदाधिकारी ऐसे भी निकले जो न लेह के निवासी हैं, न लद्दाख के और जो लेह-लद्ाख के निवासी हैं, वे भी कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता व पदाधिकारी निकले। सभी ने एक स्वर में आरोप लगाया कि चीन ने लेह की जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है। ये बात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस बयान को झूठ साबित करने की कोशिश है, जिसमें पीएम मोदी ने कहा था कि चीन कोे भारत की एक इंच भर जमीन पर भी कब्जा नहीं करने दिया गया है। देश की जनता को यह विश्वास दिलाने के लिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी झूठे हैं, इस कोशिश में राहुल गांधी ने जिन लोगों को लेह-लद्दाख के आम निवासी बनाकर पेश किया वे सचिन मिरूपा हिमाचल एनएसयूआई का जनरल सेक्रेट्री, टुंडुप नुवू जनरल सेक्रट्री लद्दाख यूथ कांग्रेस, दोरजे गेल्सन वर्किंग प्रेजीडेंट लेह यूथ कांग्रेस निकले।



जानकारों की मानें तो राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री को झूठा साबित करने के लिए किये गये षड़यंत्र और 420 के लिए उनके खिलाफ देशद्रोह, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून व देश के खिलाफ षड़यंत्र करने की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया जाना चाहिए, लेकिन शायद सरकार ऐसा नहीं करेगी, क्योंकि भाजपा नहीं चाहेगी कि बैठे-बिठाये कांग्रेस को विरोध का एक मुद्दा थमा दिया जाये। भाजपा जानती है कि यदि राहुल गांधी के खिलाफ कोई भी एक्शन लिया गया तो कांग्रेस इसे बडा मुद्दा बनाकर आंदोलन कर सकती है और भाजपा ऐसा कोई मौका कांग्रेस को देना नहीं चाहेगी। 



इससे बड़ी विड़म्बना क्या होगी कि मुख्य विपक्षी पार्टी का निवर्तमान अध्यक्ष व सांसद देश के प्रधानमंत्री को केवल झूठा साबित करने के लिए देशद्रोह की सीमा तक चला जाता है और सत्तारूढ़ पार्टी या सरकार उसके खिलाफ केवल इसलिए कोई कार्यवाही नहीं करती कि वह उसे विरोध प्रदर्शन का कोई मौका नहीं देना चाहती है। इसमें सत्ता और विपक्ष दोनों ही कसूरवार हैं। एक देश के प्रधानमंत्री को केवल झूठा साबित करने के लिए देशद्रोह का कसूरवार है तो दूसरा सबकुछ स्पष्ट हो जाने के बाद भी केवल राजनैतिक कारणों से उसके खिलाफ कार्यवाही न करने लिए कसूरवार है। इसमें वे लोग भी कम कसूरवार नहीं हैं, जो जरा-जरा सी बात को सुप्रीमकोर्ट और आरटीआई के जरिये बड़ा मुद्दा बना देते हैं, जो कसाब, दाऊद, हसीना पार्कर और अन्य ऐसे ही विवादास्पद लोगों के बचाव में सुप्रीमकोर्ट तक में ऐड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं। कुछ लोग तो देशभक्त होने का दावा करते नहीं थकते, तो कुछ मानवाधिकार की दुहाई देकर जगजाहिर गुंड़ों, माफियाओं और देशदोहियों की वकालत करने को ही अपना फर्ज मानते हैं। ऐसे लोगों को ऐसे मुद्दे पर भी सामने आना चाहिए, जिसमें कुछ लोग अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने के चक्कर में देशद्रोह तक कर जाते हैं और उनकी हरकत से सेना और देश का मनोबल तो टूटता ही है, साथ ही दुश्मन देश को भी बड़ा सहारा मिलता है। कहना गलत न होगा कि हमाम में सब नंगे हैं।



वरिष्ठ पत्रकार खतौली (मुजफ्फरनगर) उत्तर प्रदेश


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