राजनीतिक सरंक्षण में कब तक पलता रहेगा अपराध और अपराधी


अशोक काकरान, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

 

खूंखार अपराधी विकास दुबे को उज्जैन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह बहुत आश्चर्यजनक है कि देश भर की पुलिस उसको चप्पे चप्पे पर तलाश कर रही थी और वो बड़े आराम से उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन करने पहुंच गया, यह उसके लम्बे हाथ और ऊंचे रसूख को दर्शाता है। यह तो होना ही था। मुठभेड़ में मारा जाता तो बहुत सारे राज दफन हो जाते। कुछ ऐसे रहस्यमय राज जरूर वो बताएगा जिनसे जरायम की दुनिया के बादशाह की राजनीतिक घुसपैठ का पता चलेगा।

बड़ा सवाल यह होगा कि क्या जो कुछ विकास दुबे जानकारी देगा, उसे सार्वजनिक किया जाएगा अथवा उन लोगो पर कार्यवाही होगी जो उसके मददगार रहे हैं। कुख्यात अपराधी के मददगार लोगो मे बेशक राजनेताओं के साथ साथ अधिकारी लोग भी सम्मिलित रहे होंगे। इतने लंबे समय तक कोई भी अपराधी बिना राजनीतिक और अधिकारियों के सरंक्षण के जिंदा नही रह सकता और ना ही अपने गुनाहों को जारी रख सकता है। देश मे अपराधी और राजनीति का गठजोड़ बहुत पुराना है। राजनीतिक लोगो ने अपने लाभ के लिए हमेशा से अपराध जगत के कुख्यात लोगो की मदद ली है। कुछ कुख्यात किस्म के लोगो को दलों ने टिकट देकर सम्मानित भी किया है। गैंगस्टर विकास दुबे भी पुलिस थाने के भीतर राज्यमंत्री की हत्या करने के बाद सुर्खियों में आया और राजनीतिक दलों का प्रिय बना रहा।

स्वच्छ राजनीति की बात करने वाले नही जानते कि अपराधी तत्वो के बल पर बहुत बड़े बड़े नेताओं ने जनता को डरा धमकाकर वोट हासिल किए हैं। कोई भी अपराधी तब तक जिंदा रहता है जब तक पुलिस और नेताओं की कृपा प्राप्त होती है। विकास दुबे भी इसका जीता जागता उदाहरण है। एक बात और है यदि यह अपराधी पुलिस पर हमला करके उनकी हत्या ना करता तो इसके बारे में किसी को कभी भी पता नहीं चलता। इसकी गुंडागर्दी, रुतबे, पहुंच, दौलत और ताकत की भनक कभी भी देश को नही होती। सोचने वाली बात यह है कि आखिर कब तक राजनीति अपराधियों को फलने फूलने का अवसर प्रदान करती रहेगी?

 

वरिष्ठ पत्रकार, राजपुर कलां (जानसठ) मुजफ्फरनगर

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