डाॅ दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
युवकों की तुम आश हो,वृद्धों की पतवार।
मानवता के सारथी,दुख के तारनहार ।।
युवा दिवस की शुभकामनार
करीति जय-जय ज्ञान विवेकानंदा
दीनदुखी के तुम हो संता।
सन अट्ठारह सौ त्रेसठ आयो।
भुवनेश्वरी लाला इक जायो।।
पंडित नाम नरेंद्र बताये।
बद्धि विवेक सभी हरषाये।।
रामकृष्ण ने इनको पाया।
जीवन अपना धन्य बनाया।।
कलकत्ता की काली माई।
गुरुदेव आराध्य बनाई।।
किया विवेका भयोअनंदा।
स्वामी छोडे माया फंदा।।
भारत मां के तुम हो बेटे।
रात दिना चरणन में लेटे।।
ज्ञान धरम की बात बताई।
कूड़ा करकट दूर हटाई।।
धरम सनातन को अपनाया।
गीता का उपदेश सुनाया।।
जानी अरु विज्ञानी संता।
शुभकामना करीति कुमती कीना अंता।।
ग्यारह सितम तिराणू आई।
दीन दुखी के बने सहारा।
विश्व थरम सम्मेलन भाई।।
सब धर्मो के मुखिया आये।
स्वामीजी भी शंख बजाये।।
भाई बहन का सम्बोधन।
गरजी ताली धरमा शोधन।।
उठ कर जागो ज्ञान कमाओ।
भारत का तुमनाम बड़ाओ।।
शून्य विषय का कर उल्लेखा।
बीजक गीता वेद विशेषा।।
योग करम का पाठ पढाया।
सारे जग भगवा फहराया।।
भगिनि निवेदित शिष्य बनाई।
सेवा धरम की जोति जलाई।।
भगवा पहना भगवा ओढा।
भूले बिसरे जन को जोड़ा।।
सादा जीवन ऊँच विचारा।।
भाई बहना सुनते वाणी।
मोहित होते मुनि जन ज्ञानी।।
उन्निस दो अरु चार जुलाई।
सूरज ने जब लई विदाई।।
आगर (मालवा) मध्य प्रदेश