चंदामामा

अ कीर्ति वर्द्धन,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

पल में तौला, पल में माशा,
अंदाज़ तेरा मुझको भाता है।
चंदामामा-चंदामामा

कभी अमावस, कभी पूर्णिमा,
सारे जग को तू हर्षाता है।
चंदामामा-चंदामामा

सूरज से तू ऊर्जा लेता,
फिर शीतलता बरसाता है।
चंदामामा चंदामामा

रहता है तू नील गगन में,
क्यों नहीं पास मेरे आता है ?
चंदामामा-चंदामामा

रातों को क्यों जागा करता,
फिर दिन में तू  सोया रहता है।
चंदामामा-चंदामामा

माँ कहती जल्दी सो जाऊं तो,
तू सपने में आया करता है।
चंदामामा-चंदामामा

नानी के संग रहना तेरा,
मुझको भी भाया करता है।
चंदामामा-चंदामामा
मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश

Post a Comment

Previous Post Next Post