शिवजी (बैजनाथ) का चमत्कार

ऋषिता मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
शिवजी के हस्ताक्षर जो भक्त का रूप धारण कर के न्यायालय में किये ।आज भी कोर्ट से उसकी प्रतिलिपि भगत अपने साथ ले जाते हैं। मध्यप्रदेश में आगर मालवा नाम का जिला है। वहाँ के न्यायालय में 23 जुलाई सन 1931 ई. में जयनारायण उपाध्याय नाम के वकील सा थे। उन्हें लोग आदर से बापजी कहते थे। वकील साहब बड़े ही धार्मिक स्वभाव के थे और प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर स्नान करने के बाद स्थानीय बैजनाथ महादेव मन्दिर में जाकर बड़ी देर तक पूजा व ध्यान करते थे। इसके बाद वे वहीं से सीधे कचहरी जाते थे।
एक दिन प्रतिदिन की तरह ध्यान व  पूजा के बाद न्यायलय जाना था। बापजी का मन ध्यान में इतना लीन हो गया कि उन्हें समय का कोई ध्यान ही नहीं रहा। जब उनका ध्यान टूटा तब वे यह देखकर सन्न रह गये कि दिन के 3 बज गये थे। वे परेशान हो गये क्योंकि उस दिन उनका एक आवश्यक केस बहस में लगा था और सम्बन्धित जज बहुत ही कठोर स्वभाव का था। इस बात की पूरी सम्भावना थी कि उनके मुवक्किल की सजा हो गयी हो। ये बातें सोचते हुए बापजी न्यायालय 3 बजे पहुँचे और जज साहब से मिलकर निवेदन किया कि यदि उस केस में निर्णय न हुआ हो तो बहस के लिए अगली तारीख दे दें!
जज साहब ने आश्चर्य से कहा - ”यह क्या कह रहे हैं सुबह आपने इतनी अच्छी बहस की। मैंने आपके पक्ष में निर्णय भी दे दिया और अब आप बहस के लिए समय ले रहे हैं।“ जब बापजी ने कहा कि मैं तो था ही नहीं तब जजसाहब ने फाइल मँगवाकर उन्हें दिखायी। वे देखकर सन्न रह गये कि उनके हस्ताक्षर भी उस फाइल पर बने थे। न्यायालय के कर्मचारियों, साथी वकीलों और स्वयं मुवक्किल ने भी बताया कि आप सुबह सुबह ही न्यायालय आ गये थे और अभी थोड़ी देर पहले ही आप यहाँ से निकले हैं। बापजी की समझ में आ गया कि उनके रूप में कौन आया था? समझ गए डमरू वाला भोले बाबा काम कर गया। उन्होंने उसी दिन सन्यास ले लिया और फिर कभी न्यायालय या अपने घर नहीं आये।
इस घटना की चर्चा अभी भी आगर मालवा के निवासियों और विशेष रूप से वकीलों तथा न्यायालय से सम्बन्ध रखने वाले लोगों में होती है। न्यायालय परिसर तथा बैजनाथ धाम परिसर में बापजी की मूर्ति स्थापित की गयी है। न्यायालय के उस कक्ष में बापजी का चित्र अभी भी लगा हुआ है जिसमें कभी भगवान बापजी का वेश धरकर आये थे। यही नहीं लोग उस फाइल की प्रतिलिपि कराकर ले जाते हैं, जिसमें बापजी के रूप मे आये भगवान ने हस्ताक्षर किये थे और उसकी पूजा करते हैं।
बैजनाथ चालीसा में भी लिखा है --
मास जुलाई सन इकतीसा।
जय नारायण पायो ईशा।।
शंकर सुमिरन भूले देहा।
तीन बजे जब आये गेहा।
लागी भूख न पानी प्यासा।
भूले कचहरी फूली सांसा।।
शिव ने सीधी पेशी कीनी।
केश जितायो भक्ति दीनी।।
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

Post a Comment

Previous Post Next Post