राजीव डोगरा 'विमल', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मत वहन करो मेरे विचार को
मुझे भी नहीं चाहिए
तुमसे अलंकार के भूषण।
मत वहन करो मेरी वाणी को
तुमसे छंदों के बंधन।
मत वहन करो मेरे अंतर्द्वंद को
मुझे भी नहीं चाहिए
तुमसे परिछंदों के द्वंद।
मत वहन करो मेरे अंत:वेगों को
मुझे भी नहीं चाहिए
तुमसे रागों की रागनी।
मत वहन करो
मेरे हृदय तल की असवादों को
मुझे भी नहीं चाहिए
तुम्हारे रसों से उत्पन्न रसायन।
मुझे भी नहीं चाहिए
मुझे भी नहीं चाहिए
तुमसे अलंकार के भूषण।
मत वहन करो मेरी वाणी को
तुमसे छंदों के बंधन।
मत वहन करो मेरे अंतर्द्वंद को
मुझे भी नहीं चाहिए
तुमसे परिछंदों के द्वंद।
मत वहन करो मेरे अंत:वेगों को
मुझे भी नहीं चाहिए
तुमसे रागों की रागनी।
मत वहन करो
मेरे हृदय तल की असवादों को
मुझे भी नहीं चाहिए
तुम्हारे रसों से उत्पन्न रसायन।
मुझे भी नहीं चाहिए
युवा कवि लेखक राजकीय उत्कृष्ट वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गाहलिया, (कांगड़ा) हिमाचल प्रदेश