बैल का दूध (कहानी)

अरुण बंजारा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बादशाह ने अपने मन में सोचा की क्यों न बीरबल को उलझाया जाए, तो बादशाह ने कहा- बीरबल जाओ और मेरे लिए बैल का दूध निकालकर लाओ।
बीरबल- परंतु महाराज बैल तो दूध देता ही नहीं।
बादशाह- जाओ बीरबल और कैसे भी मेरे लिए बैल का दूध निकालकर लाओ, जाओ ।
बीरबल- ठीक है महाराज ।
शाम हुई जब बीरबल अपने घर आया, बीरबल की एक बेटी भी वह बहुत चतुर व बुद्धिमान थी।
बेटी- क्या हुआ पिताजी? आप इतने दुखी क्यों है ?
बीरबल -कुछ नहीं बेटी।
बेटी -कुछ तो बात है पिताजी मुझे बताइए ।
बीरबल- बेटी जो काम मुझे दिया है वह तुमसे नहीं होगा। 
बेटी -पिताजी ऐसा भी तो हो सकता है कि आपकी जो समस्या है उसका हल मेरे पास भी तो हो सकता है ।
बीरबल -बेटी बादशाह ने मुझ से बैल का दूध मंगाया है और बैल तो दूध देता नहीं हैं।
बेटी- पिताजी बैल दूध देता हैं।
बीरबल- क्या ?
बेटी- हां! पिताजी आप जाकर सो जाइए, मैं कल सुबह बैल का दूध लेकर आ जाऊंगी। 
बीरबल अपने कमरे में जाकर सो गया।
बादशाह के महल के पास एक तालाब था, जहां पर लोग नहाते थे, कपड़े आदि भी धोते थे। 
रात के 4:0 बजे बीरबल की बेटी उसके पिताजी के कपड़े लेकर तालाब में आई और वहां पर जोर-जोर से कपड़े धोने लगी। पछाड़ने की आवाज बादशाह के कानों में पहुंची।
बादशाह- सिपाइयों कौन मूर्ख है, जो इतनी रात को कपड़े ठोक कर धो रहा है। जाओ और जाकर इसे बंदी बनाकर लाओ। सिपाही जाकर बीरबल की बेटी को बन्दी बनाकर ले आये।
बादशाह इतनी रात को क्या कर रही थी, मूर्ख लड़की ।
बेटी- महाराज कपड़े धो रही थी।
बादशाह- दिन में नहीं धो सकती थी क्या?
बेटी -महाराज दिन में कपड़े खराब ही नहीं हुए। रात को खराब हुए है ना इस लिए महाराज।
महाराज -क्या हुआ रात को 
बेटी- महाराज मेरे पिताजी को लड़का हुआ है‌।
बादशाह- आदमी को कभी लड़का होता है?
बेटी- हां! महाराज मेरे पिताजी को हुआ है न। 
बादशाह- चलो, मुझे अभी वह लड़का देखना है। 
बेटी- किंतु महाराज मेरी एक शर्त है।
बादशाह- ठीक है बोलो क्या शर्त है?
बेटी- महाराज पहले आप मुझे बैल का दूध निकालकर दिखाओ, फिर मैं आपको लड़का दिखती हूं।  
बादशाह क्या बैल कभी दूध देता है, मैने तो कभी नहीं देखा।
बेटी- आदमी को कभी लड़का होता है, मैने तो नहीं देखा।
बादशाह- अभी-अभी तो तुमने कहा कि तुम्हारे पिताजी को लड़का हुआ है।
बेटी- कल आप ने भी कहा था मेरे पिताजी से कि बैल का दूध निकालकर लाओ ।
बादशाह ने कहा- मुझे क्षमा करना बेटी। मैने तो तुम्हारे पिताजी को उलझाने का प्रयास किया था, किन्तु तुमने तो मुझे ही उलझन में डाल दिया ।
यह कहकर बादशाह व बीरबल साथ रहने लगे ।
शिक्षा- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा दूसरों की मदद करना चाहिए, ना उन्हें और समस्या में डालना चाहिए।
कक्षा 11th (Bio) भादवा खेड़ा, दरबार कोठी, आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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