डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
बहिनों के बलिदान से,चले अखिल संसार।
अनुसुइया प्रभु वश किये,कहत हैं कवि विचार।।
धन्य धन्य हो प्यारी बहिना।
सरिता जैसी पावन बहना।।1
दुष्टों को तो मार भगाना।
अबला दुखिया गले लगाना।।2
तुम ही लछमी तुम ब्रह्माणी।
दुर्गा सरस्वती कल्याणी।।3
रूप मोहिनी बनकर आई।
सब देवों की भई सहाई।।4
मनु शतरूपा जोड़ा आया।
जिसने सारा जगत बढ़ाया।।5
जीवन साथी बनकर आती।
सारे जग का मान बढ़ाती।।6
ध्रुव प्रह्लाद तुमही से आते।
प्रभु भक्ति कर राह दिखाते।।7
जबजब जग में विपदा आती।
दुर्गा बन के तुम सुलझाती।।8
नारी तुम केवल श्रद्धा हो।
जयशंकर की तुम कविता हो।।9
अबला जीवन हाय कहानी।
आंचल दूधा आंखों पानी।।10
ममता करुणा की तुम खानी।
मैथिलकवि की कलम बखानी11
इलाहाबाद के पथ पर देखा।
तोड़त पत्थर काम विशेषा।।12
दुख दर्दों को हंसकर पाला।
श्रम की गाथा कही निराला।।13
जब वह रणचंडी बन जाती।
दुर्गा बनके शस्त्र चलाती।।14
दुर्गावती झांसी की रानी।
इतिहासों ने कही कहानी।।15
बहिने गंगा बहने रेवा ।
बहिनें करती जग की सेवा।।16
बहनें करुणा बहिनें माया।
सारे जग को पार लगाया।।17
धरती जैसी धीरज धरती।
जीवन सुख रंगों से भरती।।18
राधा रुक्मणि बहिना सीता ।
बहिना कथा कहे नित गीता।।19
राखे धीरज अरु बलिदानी।
सहती दुखड़ा आंखों पानी।।20
दुर्गा का जब रूप बनाती।
दुष्टों को तो मार भगाती।।21
सावित्री अनुसुइया जानो।
शबरी अरुंधती पहिचानो।।22
भीमा रत्ना करमा बाई।।
देवी अहिल्या जग में छाई।।23
तीस बरस तक राज चलाया।
सकल प्रजा का कष्ट मिटाया।।24
सभी राज में बहिना जानो।
सात द्वीप में भी पहचानो।।25
पन्नाधाय पूत कुरबानी।
ममता छोड़ देश की सानी।।26
कस्तूरा जीजा को जानी।
विद्योतम की ज्ञान कहानी।।27
टेरेसा माता पद पाई।
निवेदिता भगिनी कहलाई।।28
लता हेम व किरण को जानो।
पीटी ऊषा खेल बखानो।।29
मल्लेश्वरी साइन गीता।
मेरीकाॅम ओलंपिक जीता।30
बहिना सोना सुषमा माया।
ममता शीला राज चलाया।।31
बहिना पद्मिनि जोहर कीना।
आबरु कारण प्राणन दीना।।32
अब तो बहिनें यान चलाती।
सेना में भी धाक जमाती।।33
मेरिट में भी बहिनें आती।
सारे जग को सीख सिखाती।34
मात पिता को कांधा देती।
दुखसुख में भी साथ निभाती।35
राजनीति में बहिने आई।
हक के हेतू करे लड़ाई।।36
झांसी की रानी बन जाती।
भीषण रण में मार मचाती।।37
घोड़े की भी करे सवारी।
शत्रु दल में हा हा कारी।।38
हाड़ा रानी अवंती बाई।
जिनकी महिमा जग ने गाई।।39
बहिनें अग्नी बहिनें पानी।
सेना में भी बनी भवानी।।40
रक्षाबंधन बहिन का, भावों का उपहार।
बहिन तेरे प्रेम को,गाता है संसार।।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश
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