ग्वाल महिमा धन्य है

ऋषिता मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
सन अस्सी की बात है, आगर खेला खेल।
क्रिकेट टीम से शुरू हुआ,ग्वालाओं का मेल।।१
गोपाल दुलारे अशोक, गोविंद गेंदालाल।
दशरथ भी संगी रहे, प्रेम भाव के साथ।।२
धीरे धीरे खेल से ,साहित्य बना कमान।
शरद पूर्णिमा को किया, बच्चों का सम्मान।।३
आगर युवकों आपने, बहुत किया है काम।
ग्वालों को जाग्रत किया, चिट्ठी लिखी तमाम।।४
सन नब्बे के साल में, शुरू हुआ अभियान।
पोस्ट कार्ड से किया,ग्वालाओं में ज्ञान।।५
धीरे धीरे सब मिले, फोनों पर संवाद।
ग्वाल महिमा से हुई,सभी जनों की बात।।६
पहला अंक देखकर, सबके मन हर्षाय।
लेखन की तो झड़ी लगी, विचार बहुत से आय।।७
हर बस्ती में टोलियां, गठित हुआ समाज।
पार्षद भी बनने लगे, प्रगति दिखती आज।।८
ख़बरें पहुंची दूर तक, उत्तर राजस्थान।
मध्यप्रदेश भी छा गया,ग्वालाओं के नाम।।९
इतिहास लेखन भी हुआ, बच्चे ऊर्जावान।
बहिनों का शिक्षण बढ़ा, वृद्धों को सम्मान।।१०
टांग खिंचाई भी भई, फिर गंगा की धार।
बहुत बुराईं दूर भई, कचरा भया किनार।।११
सीहोर पंचों ने किया,पहला समूह विवाह।
सन पिंचाणू साल में,छै जोड़ों से राह।।१२
कोरोना के बाद से, सोशल में सब सार।
नये अंक का आज भी, होता इंतजार।।१३
दो युवकों ने गज़ब किया, वैवाहिक संबंध।
दो सौ जोड़े बंध गये, जीवन के रे बंध।।१४
धन्यवाद है आपका,जग में होगा नाम।
होली की शुभकामना,शत शत बार प्रणाम।।१५
23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

Post a Comment

Previous Post Next Post