अ कीर्तिवर्धन, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
चाहत थी अपनी,
तुमसे दो बातें कर पाते,
आंखों में आंखें डाल,
दिल की बातें कर पाते।
नहीं जानते मन तुम्हारे,
कब क्या चलता रहता,
कभी तुम्हारी सुनते,
कुछ अपनी बातें कर पाते।
कभी रूबरू तुमसे
बातें कर पाये न हम,
कभी तुम्हारे मन की बातें
पढ़ पाये न हम।
दर्पण में एक बार
तुम्हारा चेहरा देखा था,
यादों को आज तलक
बिसरा पाये न हम।
तुमसे दो बातें कर पाते,
आंखों में आंखें डाल,
दिल की बातें कर पाते।
नहीं जानते मन तुम्हारे,
कब क्या चलता रहता,
कभी तुम्हारी सुनते,
कुछ अपनी बातें कर पाते।
कभी रूबरू तुमसे
बातें कर पाये न हम,
कभी तुम्हारे मन की बातें
पढ़ पाये न हम।
दर्पण में एक बार
तुम्हारा चेहरा देखा था,
यादों को आज तलक
बिसरा पाये न हम।
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश