रेखा घनश्याम गौड़, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
जन्नत होती मां की गोद,,
सारे सुख मिल जाते वहां ।
माँ का आंचल सर पर नही जो,,
सुना लगे ये सारा जहाँ ।।
खुदा तूने मां बनाकर ,,
अद्भुत निर्माण किया है ।
माँ ने ही इस सृष्टि में,,
सुखों का बलिदान दिया है ।।
एक माँ ही होती है जो ,,
मिट कर बनाती जहाँ ।
जन्नत होती मां की गोद ,,
सारे सुख मिल जाते वहां ।।
कितने बड़े बड़े ही दर्द वो,,
हंसकर सहती है ।
निज संतान के खातिर वो ,,
सारे जहाँ से लड़ती है ।।
करती सर्वस्व निछावर वो,,
खुशियाँ दे भर भर आसमां ।
जन्नत होती मां की गोद ,,
सारे सुख मिल जाते वहां ।।
माँ के जैसा त्याग कभी कोई,,
भी कर नहीं सकता हैं।
माँ के उपकारों से कोई भी,,
उऋण हो नहीं सकता है ।।
सेवा और सम्मान करना हर पल,,
मां से बड़ा है ना कोई जहाँ ।
जन्नत होती मां की गोद ,,
सारे सुख मिल जाते वहां ।।
जयपुर, राजस्थान
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