रेल चली है

ऋषिता मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
छुक छुक रेल चली है
ठंडी मीठी हवा घुली है।१
पहिया मोटे चलते हैं।
पटरी देख मचलते हैं।२
काली है मतवाली है।
हमें देख इठलाती है।३
खटपट खटपट होती है।
जब रुकती या जाती हैं।४
मामा के घर पहुंचाती है।
रोज समय पर आती है।५
छुट्टी नहीं मनाती हैं।
बिजली पानी खाती है।६
सीटी जोर बजाती है।
मधुर संगीत सुनाती है।७
जात पांत का भेद मिटाकर
सबका मेल कराती है।९
ऐसी प्यारी रेल हमारी
सबको पार लगाती है।१०
वंदे भारत तेज चली है
उड़ती उड़ती रेल चली है।।११
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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