बंशीधर बंधु, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मनहूस वेदना तुझको भूलना चाहता हूं।
तू कही दूर जा तुझको भूलना चाहता हूं।
तेरे संग सफर में बहुत चल चुका हूं।
खुद से भी खुद को बहुत छल चुका हूं ।
छोड़ संग तेरा तुझको भूलना चाहता हूं
तू कही दूर जा तुझको भूलना चाहता हूं
अनजाने आ गया मायूसियों के मोड़ पर।
लोट जाने दे जा तू दामन मेरा छोड़ कर
तू मुझे भूल जा तुझको भूलना चाहता हूं
तू काही दूर जा तुझको भूलना चाहता हूं
ये मीठा मौसम बहारों का आने लगा है।
और ये नशा वादियों पर भी छाने लगा है।
मैं फूलों सा कलियों सा झूलना चाहता हूं।
कही दूर जा तुझको भूलना चाहता हूं।
जेठड़ा जोड़ चौराहा, शुजालपुर मंडी, मध्यप्रदेश
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