गणित परिभाषा गीत
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
एक बिंदु से रेखा बहु,दो से होती एक।
तीन मिले तिरभुज बने,चार चतुर्भुज देख।।1
एक बिंदु से किरण द्वै,भिन्न दिशा को जाय।
कोण वही कहलायगा, डिग्री मान धराय।।2
नब्बे से कम न्यून है, नब्बे है समकोण।
दो को जोड़ नब्बे बने,तब है पूरक कोण।।3
नब्बे अरु इक असी के,बीच अंक को जान।
अधिक कोण परिभाषिये,कहत हैं कवि मसान।।4
सीधी रेखा में लखो,सरल कोण को मान।
तिरभुज अंतः योग भी ,एक असी पहिचान।।5
चार भुजा सम देखिए, चारहि कोण समान।
वर्ग उसी को जानिये,कहत है कवि मसान।।6
आमन सामन सम भुजा, चारहि कोण समान।
आयत उसको जानिये,कहत है कवि मसान।।7
रेखा लंबी होत है, बिंदु सिर्फ निशान।
रेखाखंड सीमित रहे, किरण एक दिश आन।।8
गणितों में गणना करो, संख्या रूप गुणांक।
भाज्य अभाज्य प्राकृता,सम विषमा पूर्णांक।9
एक स्वयं को छोड़के, नहीं विभाजित होय।
अभाज्य संख्या ही कहो,जानत हैं सब कोय।।10
सम तो दो से कटत है, विषम कटेगी नाहि।
दो चारा सम जानिये,एक तीन विषमाहि।।11
दो चारा छे आठ अरु,शून्य इकाई आन।
सम संख्या ही जानिये, कहत हैं कवि मसान।।12
तीन पांच इक सात ले,अरु नौ का भी रख ध्यान।
विषम अंक पहिचान है,कहत हैं कवि मसान।13
सम पचास विषम पचास,अरू पच्चीस अभाज।
सौ तक संख्या जानिये,बनो गणित सरताज।।14
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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