एनजीटी ने अवैध खनन पर रोक लगाई, पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी भी गठित

शि.वा.ब्यूरो, सहारनपुर। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की दो सदस्यीय मुख्य बैंच ने सहारनपुर और हरियाणा के यमुना नगर में यमुना नदी में हो रहे अवैध खनन पर कड़ी नाराजगी जताई और उसे तत्काल रोके जाने का आदेश जारी किया। एनजीटी के न्यायमूर्ति अरूण कुमार त्यागी (न्यायिक सदस्य) एवं डा. ए. सेन्थिल वेल (विशेषज्ञ सदस्य) ने बलबीर संधू और अन्यों की शिकायत को याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए महत्वपूर्ण फैसला दिया है। 

एनजीटी की दो सदस्यीय पीठ ने शिकायतकर्त्ताओं द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी बिंदुओं पर गंभीरतापूर्वक विचार किया और लंबा-चौड़ा फैसला दिया, जिसमें कहा गया कि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और हरियाणा के यमुना नगर मे यमुना नदी से ऐसे कई स्थानों पर कृषि भूमि पर और बिना पर्यावरण विभाग की सहमति के कई सौ करोड़ का खनन हुआ है। जिससे पर्यावरण प्रदूषण को पांच हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। दोनों सदस्यों ने सहारनपुर और यमुना नगर के डीएम व एसएसपी समेत संबंधित विभाग के आला अफसरों को अपने फैसले की कापी भेजी है। पीठ ने  पूरे मामले की जांच के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन जयंद्र प्रताप की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। 

इस कमेटी में केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का वरिष्ठ वैज्ञानिक एनआईटी कुरूक्षेत्र का एक प्रोफेसर और आईआईटी रूडकी का एक प्रोफेसर और एक सदस्य एसएसीए (स्पेश एप्लीकेशन सेंटर) का एक वैज्ञानिक सदस्य होंगे। यह कमेटी यमुना नदी के सहारनपुर-हरियाणा वाले उस क्षेत्र का अध्ययन करेगी जहां खनन होता है या खनन होने की संभावना है। यह कमेटी पता लगाएगी कि हर वर्ष यमुना में कितना खनिज बहकर आता है और कहां-कहां खनन हो सकता है और यमुना नदी में कितने स्थानों पर वैध और कितने स्थानों पर अवैध खनन हो रहा है। एनजीटी के इन दोनों माननीय न्यायिक सदस्यों ने यह भी आदेश दिया है कि अवैध खनन, परिवहन एवं स्टोन क्रेशर का संचालन बंद किया जाए। 

एनजीटी के दोनों सदस्यों ने इस बात पर भी कड़ी आपत्ति जताई की एनजीटी के द्वारा बार-बार आदेश देने के बावजूद सहारनपुर और यमुना नगर में अवैध खनन हो रहा है और सभी नियमों-कायदों की अनदेखी की जा रही है। इस ओर पुलिस और प्रशासनिक आला अफसरों को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और इसके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जानी चाहिए। यमुना नगर से यह भी शिकायत मिली केी वहां रेत के बदले पत्थर बेचे जा रहे हैं। ध्यान रहे सहारनपुर के बेहट क्षेत्र के यमुना के लंबे किनारे स्थित भूमि पर बालू का खनन होता है। इसी तरह यमुना के हरियाणा वाले किनारे की तरफ भी बड़ी मात्रा में खनन होता है। सहारनपुर में 24 घंटे खनिजों से लदे हजारों वाहन सड़कों पर दौड़ते देखे जा सकते हैं। 

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के छह वर्षो के कार्यकाल में अवैध खनन पर प्रभावी रोक लगी है और कई बड़े खनन माफिया जैसे एक लाख का इनामी फरार पूर्व बसपा एमएलसी हाजी इकबाल और उसका भाई पूर्व बसपा एमएलसी महमूद अली के गिरोह की कमर पूरी तरह तोड़ी जा चुकी है। महमूद अली जेल में है। इन दोनों भाईयों की कराड़ों की अवैध संपत्ति भी पिछले दो साल के भीतर प्रशासन ने जब्त की है। लेकिन इसके बावजूद नए भेंड़े शासन-प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर अवैध खनन के जरिए सरकारी राजस्व को हानी पहुंचा रही है साथ ही पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा रही है। यही चिंता एनजीटी के दो माननीय सदस्यों न्यायमूर्ति अरूण कुमार त्यागी और डा. ए. सेन्थिल वेल के इस ताजे निर्णय में इनकी गहरी चिंता सामने आई है। देखना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्चनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और इनका प्रशासन कितनी गंभीरता दिखाता है। बहरहाल जो आदेश एनजीटी ने दिया है। वह अत्यंत गंभीर, चिंता पैदा करने वाला और शासन-प्रशासन की साख पर बट्टा लगाने वाला है।

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