संस्कृत व्याकरण सार एक चौथाई कागज़ में

डा. मंगलेश जायसवाल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
भारतीय संस्कृति को समझना है तो संस्कृत को सीखना भी आवश्यक है। किसी भी भाषा को जानने के लिए उसका व्याकरण भी जरुरी है। संस्कृत व्याकरण गणित सूत्रों की तरह निश्चित, सार्वभौमिक और सार्थक है। इसके कुल 42 वर्ण हैं जो 9 अच् तथा 33 हल् के रुप में 14 माहेश्वर सूत्रों में वैज्ञानिक ढंग से देवनागरी में लिपिबद्ध हैं।
संस्कृत सप्ताह के अवसर पर देवभाषा के इस वृहद् व्याकरण को ग्राम तनोडिया हायर सेकंडरी स्कूल के व्याख्याता डॉ दशरथ मसानिया ने मात्र एक चौथाई कागज़ में समेट दिया है जो मिडिल, हाई स्कूल तथा हायर सेकंडरी छात्रों के लिए बेहद फायदेमंद और सरल है। इस नवाचार को दुनियाभर में सराहा गया है।इसकी कुछ विशेषताएं हैं जो इस प्रकार है --

1.इस व्याकरण सार चार्ट को कक्षा, स्कूल या छात्रों के अध्ययन कक्ष में भी दीवार पर चिपकाया जा सकता है या सदैव अपने पास जेब में रखा जा सकता है।
2. इसमें व्याकरण को 8 भागों में बांटा गया है। वर्ण,संधि,समास, शब्द रुप, धातु रुप,अव्यव,प्रत्यय तथा अनुवाद (रचना,कारक आदि)
3. धातु रुप में लट्,लृट्,लड्,लोट् तथा विधिलिड् निश्चित क्रम में ही रखे गये है। जिन्हें आसानी से समझाया जा सकता है।
4. सारणी को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि लट् और लृट् लकार के अंत में चार - चार ( सभी द्विवचन तथा उत्तम पुरुष बहुवचन में)विसर्ग समान ही  होते हैं। लड्लकार में अ उपसर्ग लगता है।
5. परस्मैपद में सभी पांचों लकारों में 11--11 विसर्ग तथा 11--11 हलंत् होते हैं।
6. शब्द रुप में पुर्लिंग के बाद नपुंसक लिंग रखा गया है क्योंकि इसमें प्रथमा,द्वितिया एक से होते हैं,शेष सभी शब्द पुर्लिंग की तरह ही चलते हैं।
7. सर्वनाम तथा धातु रुप को एक साथ रखा गया है ताकि छात्र तुलनात्मक अध्ययन कर वाक्य आसानी से सीख सकें।
8. इस तालिका की तरह ही अध्ययन कर आत्मनेपद भी समझ सकते हैं।
9. यह संस्कृत व्याकरण का प्रवेश द्वार है।
शा उत्कृष्ट उ मा वि कालापीपल (शाजापुर) मध्यप्रदेश

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