मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
मनुष्य का व्यक्तित्व एवं व्यक्तव्य से ही पता चल जाता है कि वो कितना विद्वान एवं अनुभवी व्यक्ति हैं, इसके लिए दिनचर्या से सादगी मृदुल व्यवहार समदर्शिता इमानदारी एवं सदैव, जनहित की भावना प्रलक्षित होनी चाहिए। इसके लिए मन में सपष्टता सकारात्मक सोच परहित के लिए कुछ करने का जज्बा होना चाहिए। यह सत्य है कि बदले में कोई श्रेय शाबाशी देने नहीं आयेगा, लेकिन आत्म संतुष्टि अवश्य मिलेगी। जब मनुष्य में संतोष भाव आने लगे तो वहाँ रुकने के बजाय एक ओर कठिन तपस्या में जुट जाना चाहिए कि जब तक यह काम नहीं होगा तब तक विश्राम नहीं करूँगा। अच्छे कामों में भले ही कुछ समय लगे परेशानी आये, लेकिन सफलता के बाद संतोष रुपी धन आपकी आत्मा को नैगेटिव थिंकिंग से अपने आप पोजिटिव बना देगा।
जिस व्यक्ति द्वारा दुसरो को नैगेटिव थिंकिंग वाला बताता है, वो शत प्रतिशत ना सही, आंशिक रूप से नैगेटिव थिंकिंग वाला बन जाता है। इसके लिए आत्ममंथन आवश्यक है, एकांत में बैठकर अपने आप से विचारों का आदान प्रदान करें। कौन सही, कौन गलत इस पर मंथन करें, इससे विचारों में आये विकार अपने आप सुसंस्कार बन जायेंगे।
पाप हम अनावश्यक झूठ बोलकर किसी तरह लालच चाहे धन नाम यश अथवा अव्वल बनने के लिए करते रहते हैं, लेकिन खुद अपने मन के अंदर झांकने का प्रयास नहीं करते। दुख तो हर चोट पर हर किसी को होता है, चाहे खुद की संतान से तो चाहे किसी इंसान से उसका इंसाफ अपने आप को क्षमाशील बनाने अथवा झुक जाने से क्षणों में मिल जायेगा।
यदि किसी के शरीर में कोई विकार है तो चिकित्सक ठीक कर सकता है, लेकिन नकारात्मक सोच को किसी मोटिवेशन संस्था से मौनव्रत से साधुसंगत से सकारात्मक बनाया जा सकता है। बिजली के एक यंत्र में एक नैगेटिव एक पोजेटिव प्वाइंट होते हैं, जब दोनों अलग अलग होते हैं तो ठीक है, लेकिन यदि तार गलत हो जाने से फ्यूज उङ जाता है। हां! पोजेटिव में आने से प्रकाश फैल जाता है।
पुस्तकों का अध्ययन विचार गोष्ठी में हिस्सा लेना, संत महात्माओं का उपदेश सुनना अथवा संगीत सुनने से भी ज्ञान बढता है, अवांछित विकार विचार नष्ट होते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम से काफी सकुन मिलता है, लेकिन बौद्धिक विकास के बिना ना तो खुद का ना ही समाज का तो ना ही देश का विकास संभव है।
पत्रकार एवं साहित्यकार शिलचर असम
Tags
miscellaneous