साहित्य संवाद का श्रीराममयी कवि सम्मेलन आयोजित

शि.वा.ब्यूरो, दिल्ली। अयोध्या मे 500 वर्षो बाद रामलला की प्रतिमा नवनिर्मित श्रीराम मंदिर मे स्थापित  होने के अवसर पर साहित्य संवाद के माध्यम से सुरेश खांडवेकर द्वारा अपने परिसर दिल्ली फुटवियर मार्कट न्यूज में आयोजित श्रीराममयी कवि सम्मेलन में देश के राष्ट्रीय कवि डॉ. जयसिंह आर्य, डॉ. संजय जैन, राजेंद्र निगम श्राजश्, इंदूराज निगम, राजरानी भल्ला, ऊर्वी ऊदुल, सेठ रामनिवास गुप्ता, साक्षात भसीन, पारूल राज व अशोक शर्मा ने सारगर्भित और ओजपूर्ण प्रस्तुतियां देकर कार्यक्रम को राममयी बना दिया। कवि सम्मेलन से सारा वातावरण आध्यात्मिक हो गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि व गीतकार डॉ. जयसिंह आर्य ने की। डॉ. जयसिंह आर्य ने एक से बढ़कर एक राममयी गीत, गजलें और मुक्तक सुनाएं। उनकी अद्भुत गायकी शैली ने भी सबको बांधे रखा। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संजय जैन ने किया। 
इस अवसर पर डॉ. जयसिंह आर्य ने कहा-
1-अपने रामलला आए अपने 
राम लला आए 
जन-जन  के मानस  में अब तो  
रामलला छाए
2.
बोलों  राम  राम राम बोलों  राम राम  राम ।
राम बनावै दुखी  जनो के सारे बिगड़े काम।।
दिल्ली के डॉ. संजय जैन ने सुनाया-
अरे रामभक्तों अयोध्या में आओ
मेरे राम  फिर  से अवध आ गए हैं।
सभी आज उनकी चरणरज  लगाओ
मेरे राम फिर  से अवध आ गए  हैं
दिल्ली ही की राजरानी भल्ला अपना काव्य कुछ इस तरह से पेश किया- 
सत्य का दर्पण सबको दिखाना पड़ा
युग प्रणेता  को युग से मिलाना पड़ा 
लखनऊ के उर्वी ऊदल ने कहा-
सत्य सनातन की धरती पर राम नाम का गान  रहे
मानवता मरने न पाए  इसका तुमको भान रहे
गुरुग्राम के राजेन्द्र  निगम श्राजष् ने सुनाया-
बाट जोहते जिनकी सबके नैना पथराए
चैदह वर्ष  रहे वो वन में लक्ष्मण  सीता संग 
उसके संग रहने के मैंने भीअवसर पाए
गुरुग्राम के ही इंदू निगम श्राजश् ने कहा-  
हम सब ने मन के मन्दिर  में दीप जलाए  हैं
आज अयोध्या नाथ अयोध्या वापिस आए हैं 
साहित्य संवाद की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए सुरेश खांडवेकर ने कहा इस समय रचनाकारों का दायित्व बढ़ गया है। मनोरंजन के साथ श्रेष्ठ साहित्य से समाज को प्रेरणा देने की आवश्यक्ता है। 
बता दें कि अयोध्या मे 500 वर्षो बाद रामलला की प्रतिमा नवनिर्मित श्रीराम मंदिर मे स्थापित करने पर भारत ही नहीं, विदेशों में एक दूसरी दिवाली के रूप मनाया गया। इसमें विशेष यह रहा कि इसमें सभी धर्म के लोगों ने सहभागिता दी। जनमानस गली मोहल्ले, गांवों में भी श्रीराम से प्रेरणा लेते हुए दिखाई दिए। जलपान किया मिठाईया बांटी। देश के छोटे बड़े हर व्यक्ति ने अपने-अपने सामथ्र्य के अनुसार श्री राम के गुणगान मे दीपमालाए प्रज्वलित की। कही भजन संकीर्तन, कवि सम्मेलनों का आयोजन हुआ।

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