मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। भारत सरकार की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना को बराक घाटी में लागू करने की संभावनाओं और चुनौतियों पर एक दिवसीय कार्यशाला पिछले मंगलवार को असम विश्वविद्यालय के बिपिनचंद्र पाल सभागार में आयोजित की गई थी। कार्यशाला का आयोजन भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद परियोजना पहल के हिस्से के रूप में किया गया।
सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट पद्मश्री रवि कन्नान ने कहा कि आज कई लड़कियां बहुत कम उम्र में अपने पहले मासिक धर्म की शुरुआत का अनुभव कर रही हैं। इसका कारण लड़कियों का आउटडोर खेलों या निपनित व्यायाम में भाग न लेना, जब फूड खाने और चीनी मीठे पेय पदाथों का सेवन करने की आदत है। उनहोंने कहा कि जिन लड़कियों को कम उम्र में मासिक धर्म शुरू हो जाता है, उन्हें भविष्य में विभिन्न बीमारियों का सामना करने की अधिक संभावना होती है। पद्मश्री डा रवि कन्नान महिलाओं में स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि कैंसर और गर्भाशय कैंसर की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त की।
उन्होंने विभिन्न प्रकार के कैंसर से बचाव के उपाय के रूप में महिलाओं के बीच यौन स्वच्छता बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सभी से सराब, तंबाकू सेवन और धूम्रपान जैसी आदतों को छोड़ने का आग्रह किया। इस अवसर पर बोलते हुए, जसम विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर और 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' परियोजना की निर्देशक प्रोफेसर मधुमिता यर सरकार ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' परियोजना को लागू करने की संभावनाओं और चुनौतियों का आकलन करने के अनुभव पर प्रकाश डाला और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि बराक पाटी की महिलाएं देश के अन्य क्षेत्रों की तुलना में कहीं अधिक सशक्त है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह सबसे बड़ी समस्या है। उन्होंने छोटे परिवारों को चुनने के लिए ग्रामीण आबादी के बीच जागरूकता पैदा करने के महत्व पर जोर दिया।
कार्यवाहक कुलपति असोक कुमार सेन ने अपने संबोधन में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हितधारकों के बीच संवाद और सहयोग को सुविधाजनक बनाने में ऐसी कार्यशालाओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और संस्थागत अनुसंधान और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से सामाजिक विकास में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
कसार की अतिरिक्त उपायुक्त खालिदासताना अहमद ने 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ परियोजना के हिस्से के रूप में जिला प्रशासन की विभिन पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन गांवों को सुना बाल विवाह क्षेत्र घोषित करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम बन रहा है। कार्यशाला में घाटी के विभिन्न हिस्सों से शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, सरकारी अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ता, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, आशा कार्यकर्ताओं, जांगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और छात्रओं ने भाग लिया।
असम विश्वविद्यालय, सिलचर की स्कूल ऑफ इंग्लिश एंड फॉरिन लेम्वेज स्टडीज डीन प्रोफेसर बेबी पुष्पा सिन्हा, स्कूल ऑफ लीगल स्टडीज की डीन मी रजन मिश्रा, सिलचर पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल कविता सेनगुप्ता, कछार र के महायक आयुक्त आनंद मल्होत्रा, सहित अन्य लोगों ने कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में भाषण दिया कर्यशाला के प्रतिभागियों ने चुनौतियों पर काबू पाने और क्षेत्र में लड़कियों और महिलाओं के समय विकास के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए सामूहिक कार्रवाई की आशा व्यक्त की।
Tags
miscellaneous