गौरव सिंघल, सहारनपुर। देश की पहले नंबर की सहारनपुर लोकसभा सीट से पूर्व गन्ना एवं चीनी मिल मंत्री सुरेश राणा भाजपा का चेहरा हो सकते हैं। भरोसे के सूत्रों से आज शाम मिली जानकारी के मुताबिक भाजपा के राजनीतिक रणनीतिकार सुरेश राणा को दमदार और जिताऊ उम्मीदवार मान रही है। भाजपा की पहली सूची में सहारनपुर से उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई थी। भाजपा के लिए कठिन मानी जाने वाली इस सीट पर पिछले चुनाव में उसके उम्मीदवार राघव लखनपाल शर्मा की 22 हजार 417 वोटों के अंतर से हार हुई थी। यह भी तब जब 39 फीसद मुस्लिम मतदाताओं वाली इस सीट पर दो तगड़े मुस्लिम उम्मीदवार थे। बसपा के विजयी उम्मीदवार फजर्लुरहमान कुरैशी ने 5 लाख 14 हजार 139 वोट प्राप्त किए थे और कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद ने 2 लाख 7 हजार 68 प्राप्त किए थे। इस बार फजर्लुरहमान कुरैशी चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। वह अनाधिकृत रूप से सपा में हैं और सहारनपुर सीट सपा-कांग्रेस गठबंधन में कांग्रेस के खाते में गई है जिसके उम्मीदवार इमरान मसूद होंगे। जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में 4 लाख 7 हजार 909 वोट लिए थे।
जानकारों के मुताबिक इमरान मसूद की उम्मीदवारी सामने आने के बाद भाजपा आलाकमान अपने प्रत्याशी के चयन को लेकर सतर्क और सावधान हो गया। इसी वजह से पार्टी ने पहले चरण में यहां के प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया। सुरेश राणा 2013 में मुजफ्फरनगर में जाट मुस्लिम दंगों के दौरान हिंदुत्व का बड़ा व्यक्तित्व बनकर उभरे थे। तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने उनका बहुत उत्पीड़न किया था और उन्हें गिरफ्तार कर रासुका में निरूद्ध किया था।
रणनीतिकारों के मुताबिक सुरेश राणा के सहारनपुर सीट पर प्रत्याशी बनाए जाने से पूरे पश्चिम में भाजपा को राजपूतों का एकमुश्त समर्थन मिलेगा। हालांकि कई कारणों से इस पूरे इलाके का राजपूत खफा दिखता हैं। यदि सहारनपुर सीट पर प्रभावशाली राजपूत भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाता है तो जीत की संभावनाएं भी उसी अनुपात में बढ़ सकती हैं। निष्पक्ष लोगों के मुताबिक इस हालत में भी मुकाबला बेहद कांटे का होगा। जीत किसी की भी हो सकती है। लगातार तीसरी बार चुनाव मैदान में उतर रहे इमरान मसूद के हौंसले भी बहुत बढ़े हुए हैं। सपा-कांग्रेस के समझौते ने भी उनमें दम पैदा किया है।