पुस्तकों का भंडार हो (पुस्तक दिवस पर विशेष)

डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
पुस्तकों का अंबार हो
ज्ञान का भंडार हो।
शब्दकोश उपहार हो
भावों का संसार हो।
मानवता का सार हो
जाति धर्म से पार हो।
पुस्तकों में इतिहास हो
ईश्वर का वास हो।
गणित ज्ञान भी खास हो
हर मानव के पास हो।
भविष्य का आभास हो
वर्तमान का एहसास हो।
सीदा सादा वेश हो
जीवन का संदेश हो।
गीता सा उपदेश हो
अच्छा सा परिवेश हो।
कोलाहल से दूर हो
विज्ञान से भरपूर हो।
चित्रों से भी नूर हो
गोवर्धन की धूर हो।
हर घर और ग्राम में
शांति और संग्राम में।
नैतिकता के ठांव में
सद्भभाव की छांव में।
पुस्तकें आपस में बतराती है।
आतंकित भावों से कतराती हैं।
करुणा क्षमा का पाठ पढ़ाती है।
उदारता भाव भी सिखलाती है।
हर घर पुस्तकालय होना चाहिए
जिसमें जीवन का रस पाइये।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश

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