मजदूर
प्रीति शर्मा 'असीम', शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

दिनभर  मोल -भाव 
सह कर मजदूरी करता ।
अपनी हथेली पर,
अपनी किस्मत की  ,
खुद ही रेखाएं गढ़ता।

हड्डियों को गलाकर,
हर रोज लोहा करता। 
पेट की खातिर,
इंसानी मंडी में हर रोज कटता।

अपने सपनों को छोड़कर ,
साइकिल के स्टैंड पर ।
वो नन्ही आंखों के लिए,
एक ख्वाब बुनता।
देती  तो है  सरकारें गारंटी।
पर उसकी भला कौन सुनता।

हर रोज  आश्वासन और विकास से परे ।
अपनी मेहनत का थैला  उठा ।
वह जिंदगी से रोज,
नई सिरे से नई लड़ाई करता।

नालागढ़, हिमाचल प्रदेश
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