गौरव सिंघल, सहारनपुर। जिले में समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुदानित स्कूलों में शिक्षकों के अभाव और जर्जर भवन के चलते सैकड़ों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है और इस समस्या का कोई समाधान निकलने की भी कोई स्थिति नजर नहीं आ रही है। जिला समाज कल्याण अधिकारी विकास कमलेश कुमार ने बताया कि जिले में समाज कल्याण द्वारा अनुदान प्राप्त पांच स्कूल थे, जिनमें से सहारनपुर नगर के जाटव नगर स्थित स्कूल बंद हो गया हैं। वहां मुश्किल से 10-15 छात्र ही प्रवेश ले पाते थे। वहां के एकमात्र शिक्षक को हटाकर देवला स्कूल भेज दिया गया था और जाटव नगर स्कूल समाप्त कर दिया गया। यही स्थिति अब ब्लाक सढ़ौली कदीम के गांव सैद मोहम्मदपुर गढ़ के स्कूल की हो गई है। इस स्कूल में 72 छात्र हैं। स्कूल का अपना कोई भवन ना होने के कारण शिक्षण कार्य एक मंदिर में चल रहा है। लेकिन इस स्कूल के एकमात्र शिक्षक पहल सिंह पिछले माह की 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो गए और शिक्षक के अभाव में इस स्कूल में भी ताला लटक गया है। रोजाना बच्चे स्कूल पर लटका ताला देखकर घर लौट जाते हैं। ग्राम प्रधान विक्रम सिंह के मुताबिक एक हजार की आबादी वाले इस गांव में कोई अन्य स्कूल नहीं है। यह गांव अनुसूचित जाति की बहुलता का है। इस गांव से दो किलोमीटर दूर नित्यानंदपुर में प्राइमरी स्कूल है। लेकिन गांव की सड़क पर दिनभर खनिज से भरे वाहन चलते रहते हैं। इस कारण ग्रामीण बच्चों को इस स्कूल में नहीं भेजते हैं। समाज कल्याण अधिकारी कमलेश कुमार ने बताया कि समाज कल्याण विभाग इन स्कूलों को शिक्षकों का वेतन अनुदान के रूप में देता है। स्कूलों का प्रबंधन निजी हाथों में होता है। सरकार ने नए शिक्षकों की नियुक्ति पर रोक लगाई हुई है। जो शिक्षक रिटायर्ड हो जाता है उसके स्थान पर नई नियुक्ति नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि जो स्थिति आज गांव सैद मोहम्मदपुर गढ़ में पैदा हुई है। वहीं हालत अगले साल गांव समतागढ़ के स्कूल में भी हो जाएगी। वहां का इकलौता शिक्षक 31 मार्च 2025 में सेवानिवृत्त हो जाएगा। उस स्कूल के भवन की हालत भी खस्ता है। वहां पढ़ाना बच्चों के जीवन के लिए बेहद जोखिमभरा है। गांव मिर्जापुर पोल स्थित स्कूल का भवन जो ठीक हालत में है। वहां भी एक ही शिक्षक नियुक्त है। गांव देवला में 120 छात्र दाखिल हैं और यहां दो अध्यापक नियुक्त हैं। यदि वहां से एक अध्यापक को हटाकर सैद मोहम्मदपुर गढ़ भेजते हैं तो देवला के स्कूल के 120 छात्रों को पढ़ाने का भार एक ही शिक्षक पर हो जाएगा। जाहिर है समाज कल्याण द्वारा संचालित और अनुदानित स्कूल और वहां के छात्र गहरे संकट में हैं और उसका निदान दूर-दूर तक भी दिखाई नहीं देता है। जाहिर है बेहद गरीब और दलित एवं पिछड़ी जातियों के छोटे छात्रों का भविष्य पूरी तरह अंधकारमय है।