एसडी कालेज ऑफ इन्जिनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी में विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर गोष्ठी आयोजित

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। एसडी कालेज ऑफ इन्जिनियरिंग एण्ड टैक्नोलोजी में विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का शुभारंभ डिस्ट्रिक्ट मेन्टल हेल्थ यूनिट के प्रशिक्षित डाक्टर्स डा0 अर्पण जैन-मनोचिकित्सक, डा0 मनोज कुमार- मनोचिकित्सक, डा0 अंशिका मलिक- क्लीनिकल मनोचिकित्सक, डा0 कपिल आत्रेय-कम्यूनीटी नर्स, सचिव अनुभव कुमार, निदेशक डा0 सिद्वार्थ शर्मा ने ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर किया। डा0 अर्पण जैन ने सभागार में उपस्थित शिक्षकों व छात्र-छात्राओं को सिजोफ्रेनिया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होने कहा कि सिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है। इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल 24 मई को विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है। इस बीमारी में पीड़ित व्यक्ति के सोचने, समझने और व्यवहार में बदलाव आ जाता है उसे अक्सर भ्रम और डरावने साए दिखने की शिकायत होती है। अगर समय पर इलाज किया जाये तो इस बिमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।

डा0 मनोज कुमार ने कहा कि यह बिमारी महिला, पुरुष या फिर किसी भी उम्र का व्यक्ति इस मानसिक बीमारी की चपेट में आ सकता है। इससे पीड़ित शख्स अपनी ही दुनिया में मग्न रहते हैं और खुद को लोगों से अलग-थलग कर लेते हैं। आमतौर पर किशोरावस्था से ही इसके लक्षण नजर आने लगते हैं, जैसे- पढ़ाई-लिखाई में मन न लगना, चिड़चिड़ापन, नींद की समस्या, अकेले रहना, अपने आप में हंसना या रोना, किसी चीज पर फोकस न कर पाना या ऐसी आकृतियां दिखना जिन्हें दूसरे न देख पाएं। डा0 अंशिका मलिक ने कहा कि इस बिमारी में रोगी अपनी देखभाल करने में असमर्थ हो जाता है और उसे परिवार और समाज के सपोर्ट की जरूरत होती है। बस इसी मकसद से लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए ही दुनियाभर में हर साल वर्ल्ड सिजोफ्रेनिया डे मनाया जाता है।
सचिव अनुभव कुमार ने कहा कि आजकल के बच्चें जंक फूड खाना बहुत पसन्द करते है। फास्ट फूड में कई हानिकारक तत्व होते है जो मोटापा और अन्य बिमारियों को बढ़ाने में मदद करते है। रोटी सब्जी को देखकर अक्सर मुंह बनाने वाले बच्चें जंक फूड का नाम सुनते ही खुश हो जाते है। जंक फूड खाने में भले ही टेस्टी हो लेकिन लंबे समय तक इसका सेवन करने वाले व्यक्ति कई बिमारियों से ग्रसित हो सकता है। इसलिये सादा और पौष्टिक भोजन ही खायें और योग करें क्योंकि योग स्वस्थ शरीर एवं मस्तिष्क की कुंजी है। योग और संतुलित आहार के द्वारा कई खतरनाक बिमारीयों से बचा जा सकता है। निदेशक डा0 सिद्वार्थ शर्मा ने कहा कि यदि आप किसी प्रियजन को मनोविकृति या सिजोफ्रेनिया के लक्षणों से जूझते हुए देखते हैं, तो उन्हें देखभाल पाने के लिए धीरे-धीरे और सहयोगात्मक तरीके से प्रोत्साहित करें। प्रारंभिक निदान और उपचार लोगों को इस स्थिति से उबरने और उसे प्रबंधित करने में बहुत मदद कर सकता है और प्रशिक्षित डाक्टर से संपर्क करें। दवाओं, थैरेपी और योग के द्वारा इस बिमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।

इस अवसर पर डा0 नितिन गुप्ता, इं0 विवेक शर्मा, इं0 पारूल गुप्ता, इं0 मनोज झा, इं0 अंशिका, इं0 गौरव कुमार, इं0 शिखा शर्मा, इं0 नितिशा त्यागी, इं0 विकुल त्यागी, डा0 विधि सिंह, इं0 पुनीत गोयल, इं0 सचिन संगल, इं0 रिचा तिवारी, इं0 सौरभ मित्तल, इं0 मुकुल अग्रवाल, इं0 गिरधारी लाल, इं0 शुभम कश्यप, इं0 आकांशा वत्स, श्री मनोज कुमार, इं0 आशीष, इं0 कनन जैन, इं0 अलीशा, इं0 शिवानी आदि उपस्थित रहे।

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