शि.वा.ब्यूरो, नई दिल्ली। शहरों में गली-गली खड़े छोटे अपार्टमेंट भी रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (रेरा) की नजर में आ गए हैं। नियम-कानून को ताक पर रख कर बनने वाले ऐसे अपार्टमेंट्स पर रेरा ने अंकुश लगाने की शुरुआत की है। पहली बार 500 वर्गमीटर या मात्र आठ फ्लैट वाले अपार्टमेंट का पंजीकरण भी रेरा में अनिवार्य किया गया है। इससे कम आय वाले छोटे खरीदारों को ठगी से बचाया जा सकेगा। शहरों में गली-गली बने छोटे अपार्टमेंट कई लिहाज से खतरनाक हैं। इनके निर्माण की गुणवत्ता की कोई गारंटी नहीं है तो वहीं, इन्हें बेचने या अनुबंधों पर भी कोई जोर नहीं है।
बता दें कि अवैध रूप से बनी इन इमारतों में बने फ्लैटों की खरीदारी ज्यादातर नकद में होती है। ऐसे फ्लैट खरीदने वाले ग्राहकों की सुनवाई भी कहीं नहीं होती। यूपी के 15 शहरों में ही ऐसी 20 हजार से ज्यादा इमारतें हैं। पहली बार छोटे अपार्टमेंट को भी रेरा में पंजीकृत कराया जा रहा है। ग्राहकों पर कोई मुसीबत न आए, इसके लिए शून्य देनदारी का शपथपत्र बिल्डर से लिया जा रहा है। कब्जा देने में विलंब करने वाले बिल्डरों के खिलाफ शिकायत की सुविधा दी गई है। उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है।