वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक द्वारा दिया जा रहा धरना वार्ता के बाद समाप्त

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर दिया जा रहा धरना आज एसएसपी से वार्ता के उपरांत समाप्त हो गया। भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के एक प्रतिनिधिमंडल ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से वार्ता कर उनके समक्ष जनपद की समस्याओं से अवगत कराया। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने सभी बिंदुओं पर गंभीरता दिखाते हुए थानाध्यक्षों को एक आदेश जारी कर आश्वस्त करते हुए कहा कि अगर थानाध्यक्ष इन विषयों पर हीलाहवाली करेंगे तो इनके खिलाफ कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदय ने धरना समाप्त करने की अपील की जिस प्रतिनिधिमंडल ने धरना समाप्त करने का निर्णय लिया। भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष अंकित चौधरी ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल में अक्षय त्यागी,पिंटू ठाकुर,नीरज मलिक, शहजाद राव, बब्बल ठाकुर,शमीम, दुष्यन्त मलिक सहित कई लोग शामिल रहे

अंकित चौधरी ने बताया कि पिछले कुछ समय से जनपद में किसानों के नलकूपों पर चोरी की घटनाये बढ़ रही है और सड़कों पर स्नैचर, तो बंद मकानों में धावा बोलकर लाखों का सामान समेटने वाले चोर जनता की मुसीबत बनें हुए है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में पशु चोरी की घटनाएँ भी हो रही है। उन्होंने बताया कि लगातार हो रही चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन को प्लानिंग करने की आवश्यकता है। भारतीय किसान यूनियन (अ) ने पुलिस प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर इस संबंध में पहले भी मांग की थी। इसके बाद भी अब तक इन वारदातों पर अंकुश नहीं लग पाया है। 
उन्होंने बताया कि जनपद में पुलिस का जनता के प्रति खराब व्यवहार होने की शिकायते मिलती रहती है,जबकि  पुलिस को हमेशा विनम्र और शिष्ट होना चाहिए। पुलिस में ईमानदारी सत्यनिष्ठा पुलिस की प्रतिष्ठा का मूल आधार है, लेकिन जनपद मुज़फ़्फ़रनगर में पुलिस में भ्रष्टाचार की शिकायते बढती जा रही है। उन्होंने बताया कि जनपद में अधिकतर थाना प्रभारी व् पुलिस अधिकारी सरकारी नंबर यानी सीयूजी फोन नहीं उठाते है, जबकि जनता से सीधा संवाद, जनसुनवाई, समय पर सूचना मिलने और तत्काल मौके पर पुलिस के पहुंचने के उद्देश्य से पुलिस को सीयूजी मोबाइल नंबर जारी कराए गए हैं।
उन्होंने बताया कि जनपद में कुछ पुलिसकर्मी पेशेवर अपराधियों व् सटोरियों को बचाने या संरक्षण देने में जुटे रहते हैं।पुलिस की ओर से जिलाबदर जैसी कार्रवाई के प्रकरणों के लंबे अरसे तक लंबित रहने का पूरा फायदा, पेशेवर अपराधी व्  सटोरिये उठाते हैं।पुलिस कई कार्य भीड़ तंत्र के दबाव में भी कर रही है। जिससे पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने बताया कि कुछ पुलिस वाले सटोरियों के अनुचित लाभ के प्रभाव में आ जाते हैं, इस कारण उनके विरुद्ध कार्रवाई ही नहीं करते है।इसलिए जहा पुलिस का संरक्षण मिलने की घटनाये है, वहां भी इसपर तुरंत रोक लगनी चाहिए।
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