मंडल के चारों सांसद चंदन, इमरान, इकरा और हरेंद्र लिखेंगे सियासत की नई इबारत, चंद्रशेखर दलितों के नए हीरो बने

गौरव सिंघल, सहारनपुर। नई लोकसभा में अबकी यूं तो पूरे भारत में 280 सांसद नए चुनकर आए हैं। यह अजीब इत्तेफाक है कि सहारनपुर मंडल के चारों सांसद भी नए हैं। उनमें से एक हरेंद्र मलिक पूर्व में राज्यसभा के सदस्य और उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। सहारनपुर से चुने गए कांग्रेस लोकसभा सदस्य इमरान मसूद पूर्व में एक बार 2009 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। वह दिग्गज राजनेता रशीद मसूद के भतीजे हैं।इमरान मसूद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों के विश्वासपात्र हैं। पिछले तीन सालों के दौरान सपा-बसपा से होते हुए कांग्रेस में वापस लौटे हैं। 

मुजफ्फरनगर बिजनौर से चुने गए चंदन चौहान मीरापुर सीट से रालोद विधायक थे। कैराना से चुनी गई 29 वर्षीय इकरा हसन पहले किसी सदन की सदस्य नहीं रहीं। देश में कुल 24 मुस्लिम सांसद चुने गए हैं। इकरा हसन उनमें से एक हैं। इकरा हसन आला दर्जे की शैक्षिक डिग्रियों के साथ रसूखदार राजनीतिक परिवार से संबंध रखती हैं। वह ऐसी युवा सांसद हैं जिनकी भारत के लोकतंत्र को जरूरत है। वह कहती हैं कि 2013 में हिंदू-मुस्लिम दंगों में मुजफ्फरनगर जनपद झुलसा था और फलस्वरूप ध्रुर्वीकरण की राजनीति पनपी थी। पलायन का मुद्दा भी उछाला गया था। उनके सामने उस छवि को उज्जवल करने की और महिलाओं के सशक्तिकरण की चुनौती है। अपने मत के समर्थन में वह कहती हैं कि उन्हें चुनाव में मुस्लिमों के साथ-साथ जाट, राजपूत, गुर्जर, सैनी और दलित मतदाताओं का भरपूर प्यार और समर्थन मिला है। वह लंदन के स्कूल आफ ओरियंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में अंतरराष्ट्रीय राजनीति और कानून की पढ़ाई किए हुए हैं। इमरान मसूद ने लोकसभा में प्रवेश के साथ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की उम्मीदों को नए पंख लगाए हैं। उन्हें भी मुस्लिमों के साथ-साथ सभी जाति- समुदाय का समर्थन मिला है। मंडल की तीसरी सीट मुजफ्फरनगर से सपा के जाट नेता हरेंद्र मलिक ने दो बार के भाजपा सांसद डा. संजीव बालियान को करारी शिकस्त देकर पहली बार लोकसभा में प्रवेश किया है।

हरेंद्र मलिक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी से एक बार राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। उन्हें चौधरी चरण सिंह 1978 सियासत में लाए थे। वह चार बार विधायक भी रह चुके हैं। तीन राजनीतिक दलों में सियासी यात्रा की। अखिलेश यादव की उन पर उम्मीदें लगी हैं कि वह पश्चिम में सपा का जाट चेहरा बनेंगे और जयंत चौधरी की काट पैदा करेंगे। युवा चंदन चौहान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुर्जरों के नेता के रूप में उभरे हैं। उनकी समृद्ध राजनीतिक विरासत रही है। बाबा चौधरी नारायण सिंह, यूपी के पहले उपमुख्यमंत्री रहे। पिता संजय चौहान विधायक और सांसद रहे। चंदन चौहान के कंधों पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद को मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी है। रालोद की पहचान जाटों की पार्टी की है लेकिन चंदन चौहान के कारण गुर्जर जाति जुड़ जाने से यह समीकरण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुत भारी पड़ता है। इसका फायदा बीजेपी को हाल के चुनाव में कई सीटों जैसे अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा, मथुरा पर मिला है। अपनी इस जिम्मेदारी को बखूबी समझते हैं। 

सहारनपुर के छोटे से कस्बे छुटमलपुर निवासी 37 वर्षीय चंद्रशेखर आजाद दलितों के नए हीरो के रूप में उभरे हैं। उन्होंने इस बार नगीना सुरक्षित सीट से तीन प्रमुख दलों सपा, भाजपा और बसपा के उम्मीदवारों को शिकस्त देकर लोकसभा में पहली बार प्रवेश किया। इस तरह से हकीकी तौर पर सहारनपुर के लोकसभा में दो सांसद हो गए। इमरान मसूद और चंद्रशेखर। दोनों ने चुनाव में एक-दूसरे की भरपूर मदद की। चंद्रशेखर निर्दलीय चुने गए। वह लोकसभा में विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों से समान दूरी बनाकर रहेंगे। उनकी आजाद समाज पार्टी के देशभर में एक करोड़ सदस्य हैं। दलितों में उनकी स्वीकार्यता और बढ़ते आकर्षण को देखते हुए आने वाले समय में वह बसपा सुप्रीमो मायावती के लिए बड़ी चुनौती बनेंगे।

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