प्राण-प्रतिष्ठा से जगमगाया सनातन धर्म मंदिर

गौरव सिंघल, सहारनपुर। श्री सनातन धर्म मंदिर सभा सुभाष नगर द्वारा देव विग्रहों की प्राण-प्रतिष्ठा का शुभारंभ हुआ। सुगृहणियों द्वारा मंगल कलश यात्रा, देव विग्रहों की शोभा यात्रा और व्यास पीठ पर गुरुदेव स्वामी भारत भूषण के विराजमान होने से सारथी बनने का गौरव पाया हेमंत अरोड़ा, राजेश मेहता और राणा प्रताप संधु को। प्राण प्रतिष्ठा की शोभा यात्रा में उमड़े जन समूह की स्वधर्म निष्ठा दर्शनीय थी। आम जन में मांगलिक शगुन के रूप में ये खूब चर्चा का विषय रहा कि वर्षा ऋतु के बावजूद प्राण-प्रतिष्ठा के  दौरान यह तीन दिन चले योग संस्कार शिविर और शोभा यात्रा में कोई वर्षा नहीं हुई, जबकि आधी रात में भगवान शिव की स्थापना के समय और फिर आज यज्ञ उपरांत प्राण-प्रतिष्ठा पूर्ण होने के तत्काल बाद झमाझम बारिश हुई तो भक्तजन झूमकर नाच उठे।  

इससे पूर्व व्यासपीठ पर विराजमान पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने कहा कि पूरे समाज की श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक यह मंदिर परमात्मा का वास है, ठीक उसी प्रकार जैसे ये शरीर हमारा वास है। रोगी और जीर्ण शरीर में हम यानी आत्मा नहीं रहना चाहती ऐसे ही जीर्ण और प्रदूषित मंदिर में परमात्मा प्रसन्न कैसे हो सकते हैं, इसलिए हमारा धर्म है कि  मंदिरों को हमेशा ऐसे ही प्राण वान बनाए रहें जैसे हम स्नान सत्कर्म सेवा और सुविचार से स्वयं को प्राणवान बनाकर रखते हैं। 

उन्होंने नित्य माता-पिता और परिवार के दादी बाबा को प्रसन्न रखने के लिए नित्य उनके पास जाकर सेवा करने की तरह ही नित्य मंदिर जा कर दो घड़ी परमेश्वर के पास बैठने को जीवन का हिस्सा बनाने और अपने जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ आदि उनके चरणों में मनाने की शुरुआत करने की पेशकश भी की। व्यासपीठ से गुरुदेव स्वामी भारत भूषण ने धर्म और मत में अंतर समझाया और कहा कि मत को धर्म समझ लेने से आस्था टूटती है धर्म बिखरता है और भगवान रूठता है। 

उन्होंने चेताया कि मत-मतांतरों में बंटकर धर्म को कमजोर न करें। उन्होंने मंदिरों, गुरद्वारों, जिनालयों, देवालयों, रैदास, बाल्मीकि, कबीर आदि पंथों के मंदिरों को बड़े मकान के कमरे बताते हुए कहा कि हम कमरों के वासी नहीं पूरे मकान के वासी हैं इसलिए हर कमरे में जाएं और उसे अपनी सेवा से ऊर्जावान बनाएं। महापौर डा अजय कुमार सिंह, नगर विधायक राजीव गुंबर, यशपाल त्रेहन, राणा प्रताप संधु,  मनोज कुमार समेत हजारों की तादाद में मौजूद भक्तों ने प्राण-प्रतिष्ठा में भजन संकीर्तन से प्राण फूंके।


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