समर्पण (शिक्षक दिवस 5 सितंबर पर विशेष)

अनिल पांचाल सेवक, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।

करता है समर्पण जब शिष्य, तब          
शिक्षक करवाते अक्षरों का ज्ञान।

करता समर्पण एक शिक्षक ,  तब                            
छात्र का होता  है भविष्य निर्माण।

करता समर्पण जब किसान, तब
अन्न से भर जाते खेत खलिहान।

करता है समर्पण जब पिता, तब
संवरता है हमारा भोला बचपन।

करता है समर्पण जब बेटा, तब
इठलाता पिता अपना सीना तान।

करती है समर्पण जब बेटी, तब
दो खानदानों का बढ़ा देती मान।

करती है समर्पण जब भी मां, तब
बिना प्रयास के पूर्ण होते अरमान।

करती है समर्पण जब नारी, तब
कर देती रोशन हमारे घर आंगन। 

करता है समर्पण जब सैनिक, तब
वतन परस्ती पर गर्व करता जहान।

करती है समर्पण जब प्रकृति, तब
हरियाली देख मुस्कुराता है इंसान।

करता है समर्पण जब भक्त, तब
दर्शन देने चले आते श्रीभगवान।

चलों करें समर्पण आज हम सभी,
बनाएं आत्म निर्भर हम हिन्दुस्तान ।     
विचार मंच उज्जैन, मध्यप्रदेश
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