मैथिलीशरण गुप्त चालीसा (जन्म तिथि तीन अगस्त पर विशेष)
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
राष्ट्र कवि चिर  साधना, नारी का सम्मान।
शरणमैथली नमन करुं,कहत है कवि मसान।।
जय जय प्यारे मैथिल भाई।
रचना लिखते  देश हिताई।।1
शरण मैथिली नाम तिहारा।
आपन जस गावत संसारा।।2
अगस्त त्रय छैयासी आई।
हिन्दी साधक जन्में भाई।।3
शुक्ला द्वितिया सावन मासी।
चिरागांव है मंडल झांसी।।4
रामचरण थे पिता तुम्हारे।
राम भक्ति में समय गुजारे।।5
विनय भाव बचपन से पाई।
जो लेखन में पड़त दिखाई।।6
गुरु अजमेरी मुंशी प्यारे।
जो कविता के थे भंडारे।।7
बंगला संस्कृत घर में पाई।
छोड़ पढ़ाई खेल बिताई।।8
बारह वय में कविता गाई।
कनकलता बन पहली आई।।9
दोहा छप्पय अरु चौपाई।।
ब्रज भाषा में नाम कमाई।।10
महावीर से भई मिताई।
ब्रज को छोड़ खड़ी अपनाई।।11
घासीरामा सखा तुम्हारे।
पावन नैतिक सद् व्यवहारे।।12
राम काव्य के लेखन हारे।
दद्दा कहके तुम्हें पुकारे।।13
रंग में भंग पहले आया।
जयद्रथ वध साहित्य छाया।।14
अभिमन्यू की लिखी कहानी।
धोखा छल से मार गिरानी।।15
पंचवटी खंड काव्य रचाया।
रामलखन सिय का गुण गाया।16
वन उपवन का हाल सुनाया।
नद पर्वत का दृश्य दिखाया।।17
हरि गीतिका छंद है प्यारे।
जो रचना को सदा उभारें।।18
अबला जीवन हाय तुम्हारी।
पीड़ा जानी दुखिया नारी।।19
सती उर्मिला रची कहानी।
पतिवरता की आंखों पानी।।20
महाकाव्य साकेत रचाया।
जिसकी गांधी पाई छाया।।21
भारत शासन के मन भाया।
पद्म विभूषण मान दिलाया।।22
यशोधरा हिय ताप दिखाये।
नारी मोह को रोक न पाये।।23
धीरज त्याग सरलता ऐसी।
जग की नारी पालें वैसी।।24
राष्ट्र कवि की उपाधि पाई।
देश प्रेम जीवन में आई।।25
सन अड़तालिस बड़ सुखदाई।
डीलिट गौरव तुमने पाई।।26
बड़ी उपाधी काशी पाये।
प्रोफेसर बन छात्र पढ़ाये।।27
सन इकतालिस जेल भिजाये।
सात महीना कठिन बिताये।।28
साहित्य सदन प्रेस चलाया।
मानस मुद्रण चौपन आया।।29
इन्दु प्रताप प्रभा ने छापी।
दूर दूर तक महिमा व्यापी।।30
सरस्वती कविता छपवाते।
हिन्दी धारा युवा सिखाते।।31
गौरवमय इतिहास बताया।
नव कवियन को मार्ग दिखाया32
प्रबंध मुक्तक खूब रचाये।
भाषा भाव जगत में छाये।।33
अलंकार में धाक जमाई।
ऐसी कविता आप रचाई।।34
नारी शक्ती मान दिलाई।
माता बहिनों के दिल भाई।।35
जय भारत हिडिंबा द्वापर।
विष्णु नहुष रत्नावली ऊपर।।36
भारत भारति शारद पूता।
तुम ही सांचे जन जन दूता।।37
नर हो न निराश कहा मनकों।
कुछ काम करो जीवन तनको।38
ऊंचा कृतित्व आप रचाये।
राज परिषद सदस्य बनाये।।39
जो भी यह चालीसा गावे।
दद्दा मैथिल सार जनावे।।40
ग्यारह तारिख दिसंबर,सन चौसठ का आन।
हिन्दी सूर्य डूब गया,कहत है कवि मसान।।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश
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