आंतरिक गुलाम
डाँ. राजीव डोगरा, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
आजाद हुए हम गौरो से 
मगर अभी नही हुए औरों से।
जीत चुके हैं हम औरों से 
मगर हारे हुए हैं 
अभी अपने विचारों से।
छोटे को बड़ा ,बड़े को छोटा
समझना अभी छोड़ा नहीं।
जाति-पाति के कठोर नियमों से
मुख भी अभी मोड नहीं।
क्षितिज से आर जीवन से पार 
अभी कुछ देखा नही ।
धर्म कर्म के नाम पर शोषण 
अभी तक छोड़ा नही।
जीवन के तराजू पर
 कभी  खुद को तोला नही।
महोबत के नाम पर जिस्म का शोषण 
अभी तक छोड़ा नही।
युवा कवि व लेखक गांव जनयानकड़ (कांगड़ा) हिमाचल
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