शालिनी जैन , शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
रेत सी जिंदगी
किनारा ढूंढ़ने निकलती
कब बह जाये
कब ढह जाये
अनजान सी
सपने सजा के
कुछ बातें दिल में छुपा के
हर अहसास को बचा के
अनजान सी
रेत सी जिंदगी
किनारा ढूंढ़ने निकलती ........
मखमली सी बाते
मोती सी ख्वाइश
सपने पिरोती
डोर सी जिंदगी
कब बिखर जायें
कब उलझ सिमट जाये
रेत सी जिंदगी
किनारा ढूंढ़ने निकलती.........
ऐ मुसाफिर जिंदगी ….........
रेत सी जिंदगी
किनारा ढूंढ़ने निकलती
ऐ मुसाफिर जिंदगी ..............
गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश