देखो देखो सावन आया
डॉ. दशरथ मसानिया,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
धरती माता हरष रही है।
मोटी बूंदें बरस रही है।।1
वर्षा भी अब भारी है।
भूस्खलन भी जारी है।।2
नदियों में जल चढ़ रहा है।
बाढ़ प्रकोप बढ़ रहा है।।3
काले बादल गरज रहे हैं।
कहीं कहीं पर तरस रहे हैं।।4
चार धाम में जा रहे है।
शिव के दर्शन पा रहे हैं।।5
अमरनाथ की महिमा न्यारी।
भंडारों की अब है बारी।।6
सखियां भी अब झूल रही है।
बगिया भी अब फूल रहीं हैं।।7
कोयल अब चुपकारी है।
अब पपीहे की बारी है।।8
शिवालयों में भीड़ खड़ी है।
बिल्व पत्र की मांग बड़ी है।।9
कांवड़ियों भी निकल पड़े हैं।
पावन जल ले चल पड़े हैं।।10
कोई जल चढ़ा रहा है।
कोई मंत्र पढ़ा रहा है।।11
चतुर्मास भक्तों को भाता।
दान पुण्य अस्नान कराता।12
नाग पंचमी पूज रहे हैं।
दाल बाटी चूर रहे हैं।।13
हरिया धनिया गा रहे हैं।
खेती को लहरा रहे हैं।।14
बहिनों का भी आना है।
राखी का प्रेम निभाना है।।15
अमरिकन भुट्टे बिक रहे हैं।
सड़क किनारे सिक रहे हैं।।16
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश
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