नालंदा की आध्यात्मिक विरासत संभालने में लगा भारतीय रेलवे

शि.वा.ब्यूरो, नई दिल्ली। रेलवे के अफसरो ने बताया कि नालंदा के पुनर्जागरण के बारे में भारत के नागरिकों में जागरूकता फैलाने के लिए भारतीय रेलवे ने अपने एक इंजन का नाम नालंदा के नाम पर रखा है। उन्होंने बताया कि इंजनों के रखरखाव के लिए उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल के प्रमुख केंद्रों में से एक लोकोशेड तुगलकाबाद ने अपने सब से बेहतरीन गुड्स क्लास इंजन नंबर 70004 का नाम नालंदा आध्यात्मिक धरोहर के नाम पर रखा है। उन्होंने बताया कि यह रखरखाव केंद्र देशभर में चलने वाली बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित मेल व एक्सप्रेस और मालगाड़ियों को सेवा प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि अतीत में भी इस लोको शेड ने अपने लोकोमोटिव को शहीदों, स्मारक, स्वतंत्रता सेनानियों और प्रसिद्ध भारतीय महिलाओं के नाम पर चित्रित किया था। उन्होंने बताया किनालंदा के बारे में पेंटिंग का वर्तमान प्रयास युवा पीढ़ी के बीच पुराने और नए नालंदा के बारे में जानने की जिज्ञासा पैदा करेगा। उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे का यह प्रयास सराहनीय है।

बता दें कि प्राचीन और मध्यकालीन भारत में, नालंदा प्राचीन दुनिया में शिक्षा के सबसे महान केंद्रों में से एक था। राजगीर शहर के पास स्थित और 427 ई. से13वीं शताब्दी तक संचालित, नालंदा ने 5वीं और 6वीं शताब्दी ई. के दौरान कला और शिक्षा के संरक्षण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है। अतीत में इस विश्वविद्यालय की ऐसी महत्वपूर्ण स्थिति को देखते हुए भारत सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से पूरी तरह कार्यात्मक बना दिया है। हाल ही में राजगीर की तलहटी में नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय विश्वबंधुत्व के विचार को एक नया आयाम देगा और भारत की विकास यात्रा की पहचान बनेगा। नालंदा का पुनर्जागरण दुनिया को भारत की क्षमता के बारे में बताएगा।

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