गौरव सिंघल, सहारनपुर। श्रावण मास की शिवरात्रि के पावन पर्व पर आज बडी संख्या में कांवडियों और श्रद्धालुओं ने मानकी गांव स्थित विख्यात सिद्धपीठ मनकेश्वर महादेव मंदिर, देवीकुण्ड रोड स्थित श्री ग्यारहमुखी महादेव मंदिर, मोहल्ला लहसवाड़ा स्थित बाबा बालगिरी महादेव मंदिर, शिव चौक स्थित शिव मंदिर, ध्याना स्थित श्री नागेश्वर महादेव मंदिर समेत अन्य प्रमुख मंदिरों पर पहुंचकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया। आज बडे तडके से ही कांवड़ियों और श्रद्धालुओं का नगर के मंदिरों में पहुंचना शुरू हो गया था। आज शिवरात्रि पर पूरे दिनभर सभी शिव मंदिरों में भगवान आशुतोष के जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। सुबह से ही मंदिर व आस पास के क्षेत्र बम-बम भोले के उद्घोषों से गूंजायमान है। श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के उपरांत बेल पत्र, पुष्प, बेर, कद्दू एवं फल-फूल आदि भी भगवान शिव को अर्पित कर अपनी-अपनी मन्नतें मांगी। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में शिवरात्रि पर्व देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष यह महापर्व आज शुक्रवार को बडे श्रद्धाभाव के साथ मनाया गया। देवबंद के श्री मनकेश्वर महादेव मंदिर की ख्याति सैकडों सालों से देशभर में फैली हुई है।देवबंद नगर से करीब चार किमी. दूर गांव मानकी में स्थित मनकेश्वर महादेव मंदिर में स्वंय प्रगट शिवलिंग विराजमान हैं। जिसकी देशभर में दूर-दूर तक बडी़ मान्यता है। यहां पर श्रावण मास में भारी संख्या में श्रद्धालु और कांवडिए अपनी-अपनी मन्नते मांगने और भगवान शिव का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं।
किंवदंती के अनुसार कई सौ साल पहले जब एक मुस्लिम गाड़ा किसान खेत जोत रहा था तो हल की फाली लगने से जमीन में से दूध की धार निकली। जिसे देखकर वह डर और सहम गया और उस जगह मिट्टी डालकर घर चला गया। अगले दिन वहां शिवलिंगनुमा पत्थर के उभर कर बाहर आने से उसके विस्मय का ठिकाना न रहा। उसने इसकी चर्चा गांव में की तो चर्चा देवबंद नगर तक पहुंची। उसी दौरान यहां के एक वैश्य परिवार के सदस्य को ख्वाब में भगवान शिव ने दर्शन देते हुए बताया कि उस पत्थर में उनका वास है। उस जगह शिव मंदिर बनाने और वहां उस पत्थर की स्थापना के बाद पूजा-अर्चना करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और क्षेत्र में सुख और शांति का वास होगा। उस सज्जन ने अपने सपने की चर्चा हिंदू समाज के बीच की तो लोगों ने वहां मंदिर बनाकर स्वंय प्रगट शिवलिंग की स्थापना कर दी। जानकारी के मुताबिक मंदिर बनाने के लिए किसान ने अपनी भूमि मंदिर को दान दे दी। तभी से हजारों श्रद्वालु वहां रोज आमतौर से और सावन माह के दौरान खासतौर से जल और बेल पत्ती एवं पुष्प चढाने नियम के साथ जाते हैं। यह सिलसिला लंबे समय से लगातार जारी है। वक्त के साथ इस मंदिर की ख्याति दूर तक फैल गई और वहां महा शिवरात्रि को बडा मेला लगने लगा। जिसमें पश्चिमी उ.प्र. के दूरस्थ स्थानों के हजारों श्रद्वालु भक्ति-भाव से भाग लेते हैं। देवबंद में आज शिवरात्रि केे त्यौहार पर देवबंद-रूडकी मार्ग स्थित ऐतिहासिक एवं विख्यात मनकेश्वर महादेव मंदिर समेत नगर के अन्य सभी शिव मंदिरों में गुरूवार रात 12 बजे के बाद सेे ही जल चढाने और शिवलिंग के दर्शन करने को लेकर भारी संख्या में कांवडियों और श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। आज पूरे दिन भक्ततजनों ने भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की और व्रत भी रखा।
देवबंद क्षेत्र के गांव घ्याना स्थित लाखों लोगों की आस्था के केंद्र श्री सिद्धपीठ भगवान नागेश्वर मंदिर का निर्माण यूं तो करीब दो दशक पूर्व गांव के पूर्व प्रधान एवं ग्रामीणों के सहयोग से किया गया था लेकिन इसके अंदर स्थित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि वह सैकड़ों वर्षों से यहां एक बरगद के पेड़ में स्थित था। जिसकी गांव वाले पूजा करते चले आ रहे है। गांव के वृद्ध लोग बताते हैं कि बात प्रचलित है कि पुराने समय में यहां ऊंचाई पर एक बस्ती थी जो किसी कारण पलट कर तबाह हो गई थी ऐसा क्यों हुआ यह तो कोई नहीं जानता लेकिन उसके बाद यहां निचले भाग में गांव बसा दिया गया। जिसका नाम घ्याना रखा गया और उसी समय से गांव में स्थित बरगद के पेड़ के अंदर रखे शिवलिंग की गांव के लोग पूजा करते चले आ रहे हैं। आस्था के प्रतीक इस मंदिर में प्रत्येक सप्ताह के सोमवार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है और शिवरात्रि में दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में आकर जलाभिषेक कर मन्नतें मांगते है। आज शिवरात्रि के पर्व पर भी श्रद्धालु और कांवडिए अपनी-अपनी मन्नते मांगने और भगवान शिव का जलाभिषेक करने यहां पहुंचे।