डॉ. दशरथ मसानिया, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
शांति लाल तुम धन्य हो
भारत मां के पुण्य हो
यादवों में सर्व श्रेष्ठ हो
भाइयों में भी ज्येष्ठ हो
तुमने सीमा पर पहरा दिये।
हम सोये चैन की नींद लिये।
हे देवी पुत्र तुम धन्य हो
मां की कोख के पुण्य हो
आज मौन होकर रो रहा
हिमालय सा पिता तुम्हारा
छोटा सा बेटा बाट जोह रहा है
पापा कब आओगे ?
मुझे नये खिलोने दिलाओगे न
बेटी भी अब मां का सहारा बन
एक घड़ा पानी भरने लगी है
पुस्तकों में अब मेडम से
देश की सीमायें समझने लगी है
बहिन ने बांधा था
राखी का अनमोल धागा
तुम्हारी कलाइयों में चुपचाप है।
मां के आंचल का ममता भरा दूध और
जीवन संगिनी की मांग का
सिंदूर फफक-फफक कर रो रहे हैं।
तोलाखेड़ी के वीर सपूत
हम अश्रुपूरित नेत्रों से
शत-शत बार नमन करते हैं।
दरबार कोठी 23, गवलीपुरा आगर, (मालवा) मध्यप्रदेश