मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। असम आदिवासी छात्र संघ ने विधानसभा चुनाव से पहले आदिवासियों की मांगें पूरी नहीं होने पर भाजपा को समर्थन देने से परहेज करने की कड़ी चेतावनी जारी की है। आदिवासियों की दैनिक मजदूरी दोगुनी करने, जमीन का पट्टा देने और राष्ट्रीयकरण का दर्जा देने की मांग को लेकर संगठन ने सोमवार को पहली बार बारा में धरना और प्रदर्शन किया। सदाउ असम आदिवासी छात्र संघ के पदाधिकारियों ने तरह-तरह के नारे लगाए। 2 घंटे के इस विरोध कार्यक्रम में सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों ने एकजुट होकर अपने अधिकारों की मांग की और केंद्र और राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित किया। डाक बंगला प्वाइंट पर संगठन के पदाधिकारियों ने हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर शहीद खुदीराम बोस की प्रतिमा के नीचे एकत्र होकर इलाके की हवा को शोरगुल वाला बना दिया।
संगठन की ओर से जिला आयुक्त के माध्यम से भारत के गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन जारी किया गया। मीडिया से बात करते हुए आदिवासियों ने कहा कि संविधान (अनुसूचित जनजाति) संशोधन विधेयक 2019 के अनुसार, असम के आदिवासियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा, स्वायत्त परिषदों और संविधान के अनुसार संरक्षित वर्गों में वोट देने का अधिकार दिया जाएगा। वन अधिनियम 2006, मिशन बशुंधरा 1.0 और 2.0 के तहत आदिवासियों को भूमि पट्टे प्रदान करना, असम के वंचित आदिवासियों को भूमि पट्टे प्रदान करने की मांग पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के बावजूद, अभी तक कुछ नहीं किया गया है, इसलिए आदिवासी मैदान में आंदोलन करने को मजबूर हैं। आदिवासी समुदाय ने 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उनकी मांगें पूरी नहीं होने पर बीजेपी को समर्थन न देने की सख्त चेतावनी दी है। संगठन के पदाधिकारियों ने सरकार को चेतावनी भी दी है कि वे अपने हक के लिए सभी सड़कों को जाम कर बड़ा जन आंदोलन खड़ा करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।