राजस्व विभाग में बड़े गोलमाल का खुलासा, मामले की जांच हुई तो फंस सकती हैं कई गर्दनें

शि.वा.ब्यूरो, खतौली। राजस्व विभाग में करोड़ों की सम्पत्ति की लूटखसौट में लाखों के वारे-न्यारे करने का मामना उजागर हुआ है। यदि मामले की निष्पक्ष जांच हुई तो तत्कालीन कई राजस्व अफसरों सहित कई अन्य लोगों की गर्दनें फंस सकती हैं। हालंाकि लगभग आधा दशक पुराने मामले में राजस्व अफसरों ने उक्त लावारिस भूमि पर राजस्व विभाग के कब्जे का बोर्ड लगा दिया है, लेकिन पर्दे के पीछे अपने चहेतों को बचाने और निदोर्षों की फंसाने की साजिश की कोशिशें पूरे जोरों पर हैं।

राजस्व सूत्रों के अनुसार नगर निवासी मरियम की स्थानीय बालाजीपुरम  में लगभग दो-ढ़ाई बीघा कृषि भूमि थी। उक्त मरियम निसंतान थी और काफी समय पूर्व उसकी मृत्यु भी हो चुकी है, लेकिन उसकी मौत के बाद तत्कालीन राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार करके उक्त बेशकीमती जमीन को खुर्दबुर्द करने का षड़यंत्र शुरू हो गया था, जिसके तहत उक्त जमीन को रिहायश में दर्शाते हुए प्लाट काटकर कई लोगों को बेच दिया गया था। सूत्रों की मानें तो उक्त के बैनामे भी कराये जा चुके हैं, जिसमें राजस्व विभाग के तत्कालीन कुछ अधिकारी व कुछ भाजपा नेताओं की भूमिका संदिग्ध है।

राजस्व विभाग के सूत्रों के अनुसार वर्ष 2018 में तत्कालीन उपजिलाधिकारी ने उक्त जमीन को सरकारी कब्जे में लेने के आदेश किये थे, लेकिन तत्कालीन एसडीएम के पेशकार, राजस्व लिपिक (आरसी बाबू), लेखपाल व कानूनगो ने साठगांठ के तहत उक्त आदेशों को गायब कर दिया था और उक्त बेशकीमति सम्पत्ति को खुर्दबुर्द करने का षड़यंत्र रच दिया था। उक्त मामले में उच्च स्तरीय शिकायतें भी हुई, लेकिन परिणाम ढ़ाक के तीन पात ही रहा। अब मामला उजागर होने पर आनन-फानन में एसडीएम के आदेश पर तहसीलदार ने उक्त भूमि पर कब्जे को बोर्ड लगवा दिया है। 

बता दें कि राजस्व नियमो के अनुसार उपरोक्त मामले में धारा 115 के तहत उपजिलाधिकारी ऐसी भूमि को राजस्व विभाग के कब्जे में लेकर स्थानीय प्राधिकरण को तीन साल के पट्टे पर दे सकता है। इस बीच यदि प्रश्नगत भूमि का कोई दावेदार आता है तो उपजिलाधिकारी की कोर्ट में धारा 144 के तहत वाद चलाकर मामले का निस्तारण किया जाता है। यदि इस बीच कोई विधिमान्य दावेदार नहीं आता है तो ऐसी स्थिति में उक्त भूमि को धारा 59 के तहत उपजिलाधिकारी स्थानीय प्राधिकरण को स्थायी रूप से लोकोपयोग के लिए दे सकते हैं। 

उक्त मामले में हालांकि जाहिरी तौर पर तो बोर्ड लगाकर प्रश्नगत जमीन को राजस्व विभाग ने कब्जे में लेकर बोर्ड लगा दिया है, लेकिन परदे के पीछे अपनों को बचाने और निर्दोषों का फंसाने की कवायद तेज हो गयी हैं। सूत्रों की मानें तो उक्त मामले में नियुक्त जांच कमेटी में भी अफसरों को हटाने और मनचाहे अफसरों को लगाने की अपुष्ट खबरे भी चर्चा में हैं। मामले में कई पेच हैं। पहले पेंच के अनुसार जमीन की मालिक मरियम देश के बटवारें के दौरान पाकिस्तान चली गयी थी और उसका कोई वारिस भी नहीं था, लेकिन अब मरियम के वारिस के रूप में सामने आ रहे दीनू की उम्र वर्तमान में लगभग 34-35 साल ही है। इस बार देश ने स्वतंत्रता की 78वीं जयंती मनायी है तो इतने दिनों बाद दीनू को मरियम का वारिस होने से सम्बन्धित प्रमाण कैसे और किसने जारी कर दिये। जांच हुई तो उक्त मामले की तश्वीर साफ हो सकती है।

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