मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। मुख्यमंत्री डाॅ. हिमंत बिस्वा शर्मा की टिप्पणी को लेकर तृणमूल सांसद सुष्मिता देव ने शुक्रवार को सिलचर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत सरकार ने अभी तक बिप्लब शर्मा कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया है, लेकिन असम में इसका असर होने जा रहा है। असम समझौते के खंड 6 में कहा गया है कि ये बराक और हिल्स जिलों में लागू नहीं होंगे। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर बराक के बच्चे विदेश में नौकरी करने या पढ़ाई करने जाते हैं तो क्या उन्हें 1951 या 1971 के कागज दिखाने चाहिए। सुष्मिता देव ने दावा किया कि 2016 से 2025 तक बीजेपी के विजन डॉक्यूमेंट के पेज 3 और 4 में बराक के बच्चों के लिए तीसरी और चौथी श्रेणी की नौकरियों में आरक्षण का जिक्र है, लेकिन चुनाव के बाद बीजेपी ने कहा कि बारा को आरक्षण नहीं दिया जायेगा।
बराक घाटी को छोड़कर असम के सभी हिस्सों को संरक्षित किया गया है, ऐसे में उन्होंने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि वह विधानसभा में यह बताएं कि बराक के बच्चों को बराक और उसके बाहर कितनी नौकरियां मिली हैं सुना है, लेकिन वास्तव में कुछ नहीं किया गया। जहां तक काम का सवाल है, भाजपा ने सुदूर सिलचर नगर पालिका को अंधेरे में छोड़ दिया है। इस समय प्रदेश भर में पंचायतों को लेकर घमासान शुरू हो गया है। सुष्मिता का सवाल है कि नागरिकता पाने वाले लोगों को नौकरी क्यों नहीं मिलेगी, वे चुनाव क्यों नहीं लड़ पाएंगे, तो फिर इसकी कीमत क्या है? तृणमूल नेता सुष्मिता देब ने आरोप लगाया कि हिमंत बिस्वा शर्मा बिप्लब शर्मा कमेटी रिपोर्ट पर विभिन्न समुदायों के साथ बचकाना खेल खेल रहे हैं, जबकि यह समझना मुश्किल है कि मुख्यमंत्री यह खेल क्यों खेल रहे हैं। सुष्मिता देव ने कई अन्य मुद्दों पर मुख्यमंत्री से प्रतिक्रिया मांगते हुए बराक के लोगों से जागरूक होने की अपील की।